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DMFT सहित अन्य स्वायत्त संस्थाएं महालेखाकार को अपना हिसाब-किताब नहीं दे रही है

Ranchi : DMFT सहित अन्य स्वायत्त संस्थाएं( Autonomous Body) महालेखाकार को अपना सालाना हिसाब-किताब नहीं दे रही है. राज्य के 24 जिलों के DMFT में से किसी ने भी आज तक महालेखाकार को अपनी आमदनी और खर्च की हिसाब-किताब नहीं दिया है.  

 

स्वायत्त संस्था झारखंड हाउसिंग बोर्ड ने 23 साल से अपना हिसाब-किताब नहीं दिया है. रिनपास ने स्थापना के बाद से ही अपना हिसाब-किताब नहीं दिया. RIMS ने पिछले कुछ सालों तक का हिसाब-किताब तो दिया है. लेकिन महालेखाकार को इसके ऑडिट का अधिकार नहीं दिया. बाबा बासुकी नाथ श्राइन एरिया डेवलपमेंट ऑथरिटी ने हिसाब-किताब नहीं दिया. लेकिन महालेखाकार को ऑडिट का अधिकार दिया है.

 

उल्लेखनीय है कि राज्य में कुल 35 स्वायत्त संस्थाएं हैं. इसमें से 24 DMFT है. राज्य की इन संस्थाओं को वित्तीय वर्ष समाप्त होने के बाद छह महीने के अंदर अपना- अपना हिसाब-किताब महालेखाकार को देना है. साथ ही उसे अपने लेखा जोखा के ऑडिट का अधिकार भी देना है.

 

राज्य की इन स्वायत्त संस्थाओं द्वारा अपना हिसाब-किताब नहीं देने की घटना के देखते हुए प्रधान महालेखाकार (ऑडिट) ने स्वायत्त संस्थाओं की एक बैठक बुलाई थी. 26 नवंबर को हुई इस बैठक में राज्य की पांच संस्थाएं शामिल हुई.

 

इसमें स्टेट हाईवे अथॉरिटी ऑफ झारखंड, झारखंड स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी, बाबा बैजनाथ–बासुकीनाथ श्राइन एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी, जरेडा और RIMS शामिल हुए. बाबा बासुकी नाथ की ओर से ट्रस्ट के सदस्यों के बदले जिले के ट्रेजरी ऑफिसर को बैठक में शामिल होने के लिए भेज दिया गया था. ट्रेजरी ऑफिसर ने बाबा बासुकी नाथ ट्रस्ट की किसी भी तरह की जानकारी नहीं होने की बात कही.

 

प्रधान महालेखाकार ने बैठक में उपस्थित स्वायत्त संस्थाओं को सालाना हिसाब-किताब नहीं देने से पैदा होने वाली परेशानियों की जानकारी दी. साथ ही यह भी कहा कि इससे राज्य की अर्थ व्यवस्था प्रभावित होती है. प्रधान महालेखाकार ने DMFT द्वारा अब तक अपना हिसाब-किताब नहीं दिए जाने को गंभीर मुद्दा बताया.

 

DMFT द्वारा अपना हिसाब-किताब नहीं दिए जाने की वजह से यह पता लगाना संभव नहीं हो पा रहा है कि इस फंड का पूरा उपयोग माइनिंग से प्रभावित क्षेत्र के लोगों के लिए किया गया है यह नहीं. स्वायत्त संस्थाओं द्वारा हिसाब-किताब नहीं दिए जाने के मामले को गंभीर बताते हुए प्रधान महालेखाकार ने स्वायत्त सस्थाओं के साथ नियमित रूप से बैठक करने की योजना बनाई है.

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