- खड़ी बसों को चलाने में करना होगा लाख से डेढ़ लाख तक का खर्च
- परिचालन ठप होने से राज्य में करीब एक लाख लोग झेल रहे बेरोजगारी
Ranchi: कोरोना और लॉकडाउन से बस संचालकों पर दोहरी मार पड़ रही है. बसें नहीं चलने से उनकी आमदनी ठप है. बीमा, ऋण, टैक्स आदि किस्त की तिथि पार कर चुकी है. लॉकडाउन खत्म होने पर स्टैंड में खड़ी बसों को चलाने के लिए मरम्मत पर अच्छी-खासी रकम की आवश्यकता होगी. विभिन्न टैक्स आदि पर लाख से डेढ़ लाख रुपए खर्च की संभावना ने संचालकों की परेशानी बढ़ा दी है. इसके लिए वह सरकार से टैक्स की दो किस्त माफ करने की मांग कर रहे हैं.
एक बस पर 20 लोगों की जीविका निर्भर
झारखंड में बसों का परिचालन ठप रहने से इससे जुड़े सभी कर्मी बेरोजगार हो चुके हैं. एक बस पर करीब 15 से 20 लोगों की आजीविका निर्भर करती है. लंबी दूरी की बसों में यह संख्या और भी अधिक है. रांची में ही यहां से हर दिन करीब पांच सौ बसें चलती हैं. स्कूल बसों को जोड़ दे तो सभी मिलाकर पूरे राज्य में सात से साढ़े सात हजार बसें चलती हैं. इससे राज्य में करीब एक लाख से अधिक लोग बेरोजगार हो गए हैं.
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मरम्मत में खर्च 35 से 40 हजार रुपए
इतना ही नहीं बसों को स्टैंड से निकालने से पहले ही उसे दुरूस्त करना होगा. हर हाल में मरम्मत करानी होगी. इसके इंजन ऑयल बदलने से लेकर, ग्रीसिंग, बैटरी और अन्य कमजोरियों को दुरूस्त करना होगा. इतने ही मरम्मत में करीम 35 से 40 हजार रूपए का खर्च आएगा. यदि टायर आदि अन्य उपकरण खराब निकले तो यह राशि लाख रुपए या इससे अधिक भी हो सकता है.
दो महीने से बंद हैं लंबी दूरी की बसें
इसमें भी लंबी दूरी की कई बसें तो पिछले दो महीनें से बंद है. यात्रियों के अभाव में इन बसों को अधिकांश संचालकों ने बंद कर दिया पहले से ही बंद कर दिया है. आधी संख्या में यात्रियों को लेकर आवाजाही करने के बावजूद यात्री नहीं मिलने के कारण ये बसें स्टैंड में खड़ी कर दी गई हैं.
सरकार आर्थिक मदद दे- एसोसिएशन
बस संचालक और रांची जिला बस ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कृष्णमोहन सिंह ने कहा कि पिछले साल से जारी संक्रमण और लॉकडाउन का सबसे अधिक प्रभाव बस संचालकों पर पड़ा है. इसके खड़ी होने से टैक्स के बकाए बढ़ रहे हैं. 90 फीसदी से अधिक बसों के किस्त फेल हो गए हैं. बसों को सड़कों पर लाने में लाख से डेढ़ लाख रुपए तक का खर्चा आ सकता है.
पिछले लॉकडाउन को झेल चुके बस संचालकों को राज्य सरकार ने काफी जद्दोजहद के बाद टैक्स के दो तिमाही की छूट दी थी. लेकिन यह पर्याप्त नहीं है. गंभीर स्थिति को देखते हुए सरकार बाद की दो तिमाही की छूट देकर आर्थिक मदद करे. यदि लॉकडाउन के बाद आधी सवारी के साथ परिचालन का आदेश दिया जाता है तो फिर किराया भी दोगुना किया जाए. यदि सरकार ऐसा नही करती तो फिर सरकार एक यात्री का किराया स्वयं भुगतान करे.