NewDelhi : कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बीच DRDO द्वारा विकसित 2-DG (डीऑक्सी डीग्लूकोज) संजीवनी बुटी मानी जा रही है. केंद्र सरकार ने इसका पहला बैच (10000 डोज) लॉन्च भी कर दिया है, लेकिन खबरों के अनुसार अब कई वैज्ञानिकों और जानकारों को कहना है कि इस ऐंटी-कोविड ड्रग का पर्याप्त ट्रायल नहीं हुआ है. हालांकि सरकार का दावा है कि इस दवा के इस्तेमाल से लोग जल्दी ठीक होंगे और सांस लेने में होने वाली परेशानी कम की जा सकती है.
2 डीजी 2 डीजी अणु का एक परिवर्तित रूप है
जानकारी के अनुसार इस दवा का निर्माण जिस सिद्धांत के आधार पर किया गया है, वही कैंसर के इलाज में भी काम आता है. 2 डीजी असल में 2 डीजी अणु का एक परिवर्तित रूप है. ट्रायल में जानकारी सामने आयी कि 2 डीजी कोरोना मरीजों के इलाज में भी कारगर है और ऐडमिट मरीजों की ऑक्सीजन पर निर्भरता भी कम करती है.
बताया गया है कि यह दवा इस ग्लूकोज एनालॉग को लेकर उसी में फंस जायेगी जिससे कि वायरस एनर्जी नहीं ले पायेगा और यह अपनी कॉपीज नहीं बना पायेगा. हालांकि जानकारों का कहना है कि इसके इस्तेमाल से पहले और ज्यादा क्लीनिकल ट्रायल और प्रमाणों की जरूरत है.
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बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद से कनेक्शन?
खबरों के अनुसार जर्मनी, ब्राजील और अमेरिका समेत कई देशों के रिसर्च पेपर में 2डीजी की बात बतायी गयी, लेकिन इनमें से कोई भी पेपर किसी अस्पताल के सेटअप पर आधारित नहीं था. भारत में इस दवा के जिस वर्जन को लॉन्च किया गया है उसका कनेक्शन रामदेव की पतंजलि से बताया गया है. जान लें कि रीसर्चगेट पर पतंजलि के चेयरमैन आचार्य बालकृष्ण का एक रीसर्च पेपर पोस्ट किया गया था. ICMR के इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में इसे जनवरी-फरवरी 2021 में देखा गया था.
आचार्य बालकृष्ण के साथ इस रीसर्च पेपर को लिखने वालों में पल्लवी ठाकुर, नरसिंह चंद्र देव और अनुराग वार्ष्णेय शामिल थे. विवेकानंद एजुकेशन सोसाइटी के इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी के शिवम सिंह और चेन्नई के SIMATS के वाइस चांसलर राकेश कुमार शर्मा का भी नाम इस रीसर्च पेपर में शामिल हैं. ये दोनों डीआरडीओ से भी जुड़े रहे हैं.
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डीआरएल ने 2020 में स्पीडी अप्रूवल की मांग की थी
शर्मा ने एक ट्वीट में कहा था, ‘यह हमारे लिए गर्व की बात है कि बालकृष्ण के नेतृत्व में की गयी 2डीजी की रिसर्च को मान्यता दी गयी है. 2डीजी की कीमतों की घोषणा अभी नहीं की गयी है. कई जानकारों ने इसकी मंजूरी और ट्रायल पर सवाल उठाये हैं. रिकॉर्ड के अनुसार डीआरएल ने 2020 में स्पीडी अप्रूवल की मांग की थी. लेकिन उसके शॉर्टकट ट्रायल की वजह से सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने इनकार कर दिया था.
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थ्योरेटिकल वैल्यू और क्लीनिकल आउटकम में कई कमियां हैं.
इस संबंध में महाराष्ट्र कोविड टास्क फोर्स के एक्सपर्ट मेंबर डॉ शशांक जोशी ने कहा, ‘दवाई आकर्षक तो लगती है लेकिन इससे संबंधित ज्यादा डेटा मौजूद नहीं हैं.कहा कि जब तक पर्याप्त आंकड़े नहीं मिल जाते हम इसका केवल रिसर्च मोड में इस्तेमाल करेंगे. दिल्ली के LNGP अस्पताल के डायरेक्टर ऑफ मेडिसिन ऐंड मेडिकल सुरेश कुमार के अनुसार यह देखना पड़ेगा कि यह कितना अच्छा असर करती है. होली फैमिली अस्पताल के डॉ. सुमित राय का कहना है कि इसमें थ्योरेटिकल वैल्यू और क्लीनिकल आउटकम में कई कमियां हैं. अगर इसका अच्छी तरह फेज 3 ट्रायल होता है तो हम खुशी के साथ इसका इस्तेमाल करेंगे.
110 मरीजों पर दूसरे चरण का ट्रायल गिया गया : रक्षा मंत्रालय
बता दें कि रक्षा मंत्रालय की रिलीज में कहा गया है कि 110 मरीजों पर दूसरे चरण का ट्रायल गिया गया था. तीसरे चरण के ट्रायल में 220 मरीजों को शामिल किया गया. जिसमें देशभर के 27 कोविड अस्पताल भी शामिल थे. डीसीजीआई के सामने तीसरे चरण के ट्रायल का पूरा रेकॉर्ड रखा गया था. इसमें कहा गया है कि ट्रायल से पता चला है, यह दवा ऑक्सीजन थेरपी से जल्दी छुटकारा दिला देती है.