LagatarDesk : रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन और एमडी अनिल अंबानी की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है. कथित बैंक लोन धोखाधड़ी मामले के बाद अब ईडी ने 68 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी मामले में अनिल अंबानी समूह की कंपनियों की भूमिका की जांच शुरू कर दी है.
एजेंसी ने इस मामले में शुक्रवार को ओडिशा (भुवनेश्वर) स्थित बिस्वाल ट्रेडलिंक नामक कंपनी और उसके निदेशकों से जुड़े तीन ठिकानों पर छापेमारी की. इसके अलावा कोलकाता में एक सहयोगी के ठिकाने पर छापेमारी कर महत्वपूर्ण दस्तावेजों और डिजिटल सबूतों को जब्त किया है.
यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में की गई, जिसमें कंपनी पर विभिन्न व्यावसायिक समूहों के लिए नकली बैंक गारंटी जारी करने का आरोप है. सूत्रों के मुताबिक, इस रैकेट के जरिए अनिल अंबानी समूह की एक कंपनी को भी कथित तौर पर 68 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी उपलब्ध कराई गई थी.
जांच एजेंसियों पता लगाने की कोशिश कर रही है कि रिलायंस समूह की कंपनियां की इस फर्जीवाड़े में कितनी संलिप्त थीं और क्या सरकारी एजेंसियों को जानबूझकर गुमराह किया गया.
STORY | ED searches in 'fake' bank guarantee racket; Anil Ambani group company under radar
— Press Trust of India (@PTI_News) August 1, 2025
READ: https://t.co/sRihD5mutR pic.twitter.com/H9nlS2tiw3
EOW के एफआईआर के आधार पर ईडी ने दर्ज की है ईसीआईआर
बता दें कि दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने नवंबर 2024 में एक एफआईआर दर्ज किया है. इसके आधार पर ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत एक ईसीआईआर (प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट) दर्ज की है.
ईडी अब यह पता लगाने में जुटी है कि इस रैकेट से कौन-कौन सी कंपनियां और कारोबारी समूह जुड़े थे और क्या इस गारंटी का उपयोग बैंक लोन हासिल करने या किसी अन्य वित्तीय लाभ के लिए किया गया.
8 फीसदी कमीशन पर फर्जी बैंक गारंटी जारी कर रही थी कंपनी
ईडी का आरोप है कि अनिल अंबानी की एक कंपनी को फर्जी बैंक गारंटी के आधार पर ठेका दिया गया था. यह गारंटी ओडिशा की बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड द्वारा जारी की गई थी. एजेंसी की जांच में सामने आया है कि यह फर्म 8% कमीशन पर फर्जी बैंक गारंटी जारी कर रही थी.
फर्जी गारंटी के बदले कमीशन देने के लिए तैयार किए फर्जी बिल
ईडी का दावा है कि अनिल अंबानी समूह की कंपनियों ने इस फर्जी गारंटी के बदले कमीशन भुगतान दिखाने के लिए फर्जी बिल तैयार किए. जांच के दौरान कई अघोषित बैंक खातों का भी पता चला है, जिनमें करोड़ों रुपये के संदिग्ध ट्रांजैक्शन किए गए हैं.
एजेंसी ने बताया कि रिलायंस समूह की दो कंपनियों (रिलायंस एनयू बेस लिमिटेड और महाराष्ट्र एनर्जी जनरेशन लिमिटेड) के नाम पर 68.2 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी जारी की गई थी. यह गारंटी भारत सरकार के सौर ऊर्जा निगम (SECI) को सौंपी गई थी.
नकली ईमेल आईडी और डिजिटल छेड़छाड़
फर्जी गारंटी को असली साबित करने की कोशिश में, रिलायंस ग्रुप ने कथित तौर पर SECI को संपर्क करने के लिए भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के असली डोमेन sbi.co.in के बजाय एक फर्जी डोमेन s-bi.co.in का इस्तेमाल किया. ईडी ने इस नकली डोमेन के पंजीकरण से जुड़ी जानकारी के लिए नेशनल इंटरनेट एक्सचेंज ऑफ इंडिया (NIXI) से विवरण मांगा है.
कंपनी का पता एक आवासीय घर का
ईडी की जांच में यह भी सामने आया कि बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड एक कागजी कंपनी है. इसका पंजीकृत पता एक रिश्तेदार के आवासीय घर का है, जहां कंपनी से जुड़ा कोई वैधानिक रिकॉर्ड नहीं मिला.
इसके अलावा, संबंधित लोगों द्वारा टेलीग्राम ऐप के "डिसअपीयरिंग मैसेज" फीचर का इस्तेमाल किया गया, ताकि चैट को सुरक्षित रूप से हटाया जा सके. एजेंसी का मानना है कि यह जानबूझकर बातचीत छिपाने का प्रयास है.
Lagatar Media की यह खबर आपको कैसी लगी. नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपनी राय साझा करें.
Leave a Comment