Ranchi: स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता मंत्री बैद्यनाथ राम ने कहा है कि हाथी न केवल वन्यप्राणी साम्राज्य की प्रमुख प्रजाति है, बल्कि भारतीय संस्कृति में भी पूजनीय जीव माना जाता है. हमारे देश में सदियों से मानव और वन्यप्राणी शांति पूर्वक सह-अस्तित्व में रहते आए हैं. फिर भी कुछ समय से मानव की आगे बढ़ने की प्रत्याशा ने दोनों प्रजातियों के बीच संघर्ष की स्थिति उत्पन्न कर दी है, जिसके परिणामस्वरूप अप्रिय स्थितियां उत्पन्न हो रही हैं और इससे दोनों पक्षों की जान-माल की हानि हो रही है. शिक्षा मंत्री बैजनाथ राम विश्व हाथी दिवस के अवसर पर बेंगलुरु में कर्नाटक सरकार द्वारा आयोजित मानव- हाथी संघर्ष पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला में बोल रहे थे. उन्होंने कर्नाटक की वन्यजीव प्रबंधन प्रणाली प्रशंसा करते हुए कहा कि कर्नाटक में वैज्ञानिक तरीके से वन और वन्यजीव प्रबंधन की एक लंबी और गौरवशाली परंपरा रही है. कर्नाटक सरकार द्वारा मानव- हाथी संघर्ष की बढ़ती घटनाओं पर चर्चा करने के लिए विश्व के प्रमुख विशेषज्ञों को एक साथ लाने की पहल सराहनीय है.
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झारखंड एक लैंडलॉक राज्य
शिक्षा मंत्री ने कहा कि झारखंड वनों की भूमि है. यहां 29 प्रतिशत से अधिक भूमि वनाच्छादित है. झारखंड एक लैंडलॉक (चारों ओर से जमीन से घिरा) राज्य है, जहां हाथियों की एक स्वस्थ आबादी विचरण करती है. यह राज्य चारों तरफ से हाथियों के प्रवास अनुकूल क्षेत्र वाले राज्यों से भी घिरा हुआ है और ईस्ट सेंट्रल एलिफेंट लैंडस्कैप के रूप में चिह्नित है. यह परिदृश्य जहां एक ओर उचित वैज्ञानिक वन्यप्राणी प्रबंधन में कठिनाई उत्पन्न करता है, वहीं दूसरी ओर संबंधित राज्यों के बीच आपसी समन्वय के महत्त्व एवं उसकी आवश्यकता को इंगित करता है.
हमारे पास बड़े निरंतर वन क्षेत्र नहीं
नवीनतम गणना से पता चलता है कि झारखंड में लगभग 600 से 700 हाथियों का बसेरा है. हमारे पास संतोषजनक वन क्षेत्र है, लेकिन हमारे पास बड़े निरंतर वन क्षेत्र नहीं हैं. भूमि खंडित है और जानवरों के गलियारे टूट चुके हैं. फसल कटाई का समय अक्सर हाथियों के प्रवास के समय से मेल खाता है, जिससे हमारे गरीब लोगों और इस महान जीव के बीच संघर्ष उत्पन्न होता है. झारखंड के लोगों का जीवन प्रकृति और उसके संरक्षण के साथ अटूट रूप से जुड़ा है, किन्तु झारखंड भी मानव- वन्यप्राणी संघर्ष के वैश्विक रुझान से अछूता नहीं है और हम अपने तरीके से इससे निपट भी रहे हैं.
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