New Delhi : चुनाव आयोग(ईसीआई) ने बिहार में मतदाता सूची के जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को सही करार देते हुए SC में हलफनामा दायर किया है. आयोग ने कहा है कि SIR मतदाता सूची से अयोग्य व्यक्तियों को हटाकर चुनाव की शुचिता को बढ़ाता है.
याद करें कि चुनाव आयोग ने पूरे भारत में मतदाता सूची के एसआईआर का निर्देश 24 जून को दिया था. इसे बिहार से शुरू किया गया. आयोग के इस निर्देश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी है. चुनौती देने वाली याचिका के संबंध में निर्वाचन आयोग ने हलफनामा दायर किया है.
इसमें चुनाव आयोग ने साफ-साफ कहा है किआधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड और राशन कार्ड को हम वोटर लिस्ट विशेष गहन पुनरीक्षण( SIR) के लिए सही नहीं मानते हैं.
हालांकि हलफनामे में कहा गया कि कानूनी चिंताओं के बावजूद आयोग एसआईआर-2025 प्रक्रिया के दौरान पहचान के सीमित उद्देश्य के लिए आधार, मतदाता कार्ड और राशन कार्ड पर पहले से ही विचार कर रहा है.
आयोग के हलफनामे के अनुसार एसआईआर प्रक्रिया मतदाता सूची से अयोग्य व्यक्तियों को हटाकर चुनावों की शुचिता बढ़ाती है. कहा कि मतदान का अधिकार लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धाराओं 16 व 19 के साथ अनुच्छेद 326 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 62 से प्राप्त होता है. इसमें नागरिकता, आयु और सामान्य निवास के संबंध में कुछ पात्रताओं की बात की गयी है.
आयोग ने कहा कि एक अपात्र व्यक्ति को मतदान करने का कोई अधिकार नहीं है. इसलिए वह इस संबंध में अनुच्छेद 19 और 21 के उल्लंघन का दावा नहीं किया जा सकता.अपने हलफनामे में आयोग ने SC के 17 जुलाई के आदेश का हवाला दिया है,
उसमें सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से एसआईआर-2025 के लिए आधार, मतदाता और राशन कार्ड पर विचार करने को कहा गया था. कहा कि आयोग इन दस्तावेजों पर वास्तव में एसआईआर प्रक्रिया के दौरान पहचान के सीमित उद्देश्य के लिए पहले से ही विचार कर रहा है.
ईसीआई के अनुसार SIR आदेश के तहत जारी किये गये गणना पत्र को भरने वाला व्यक्ति आधार संख्या स्वेच्छा से दे सकता है. ऐसी जानकारी का उपयोग लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23(4) और आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ व सेवाओं का लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016 की धारा 9 के अनुसार पहचान के उद्देश्य से किया जाता है.
आयोग ने यह भी बताया कि 2016 के अधिनियम की धारा 9 कहती है कि आधार नंबर नागरिकता या निवास आदि का प्रमाण नहीं है.आयोग ने न्यायालय को बताया कि 18 जुलाई तक बिहार में 7,89,69,844 मौजूदा मतदाताओं में से 7,11,72,660 मतदाताओं (90.12 प्रतिशत) से गणना पत्र पहले ही जमा किये जा चुके हैं.
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