Lohardaga: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) लिब्रेशन की 53वीं स्थापना दिवस पर लोहरदगा में आयोजित संकल्प दिवस कार्यक्रम के दौरान केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चुनाव आयोग को लेकर तीखी आलोचना देखने को मिली.कार्यक्रम की अध्यक्षता महेश कुमार सिंह (जिला प्रभारी) ने की, वहीं वक्ताओं ने देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं के पतन और जनविरोधी नीतियों के खिलाफ एकजुट संघर्ष का आह्वान किया.
चुनाव आयोग बना 'पॉकेट आयोग': भाकपा(माले)
पार्टी नेताओं ने कहा कि चुनाव आयोग अब स्वतंत्र संस्था नहीं रह गया, बल्कि यह भारत सरकार के "पॉकेट आयोग" के रूप में कार्य कर रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि SIR जैसी प्रक्रियाएं गरीब, मजदूर, महिला और आम जनता के मताधिकार को सीमित करने का प्रयास हैं, जो औपनिवेशिक काल की याद दिलाती हैं, जब केवल संपन्न वर्गों को ही मताधिकार था
नोटबंदी के बाद वोटबंदी की साजिश: माले का आरोप
नेताओं ने कहा कि नोटबंदी के बाद अब सरकार चुनाव आयोग के माध्यम से 'वोट चोरी' का खेल खेल रही है. इसके पीछे मंशा अपने गिरते राजनीतिक ग्राफ को बचाना और आम जनता को मताधिकार से वंचित करना है.
प्रधानमंत्री की विदेश नीति पर कटाक्ष: नई ईस्ट इंडिया कम्पनी
माले नेताओं ने प्रधानमंत्री के विदेशी दौरों को भी आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का इंग्लैंड में पुनर्निवेश समझौता देश को दोबारा गुलामी की ओर ले जाने जैसा है और यह ईस्ट इंडिया कम्पनी के नए संस्करण की भूमिका निभा रहा है. उन्होंने सेंगोल स्थापना और महारानी विक्टोरिया के सम्मान में भारत का झंडा झुकाने को भी गुलामी मानसिकता का उदाहरण बताया.
संसद सत्र को नज़रअंदाज कर विदेश दौरे
पार्टी ने प्रधानमंत्री द्वारा संसद सत्र के समय विदेश दौरे को देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि जन समस्याओं की तुलना में उन्हें अंतरराष्ट्रीय दिखावा अधिक प्रिय है.
78 साल बाद जिन्ना की विचारधारा को फिर से जिंदा किया जा रहा
भाकपा(माले) नेताओं ने आरोप लगाया कि देश में आजादी के अमृत वर्ष को बदनाम कर साम्प्रदायिकता को बढ़ावा दिया जा रहा है। जनता को हिन्दू-मुस्लिम, ऊंच-नीच, देशी-विदेशी में बांटकर असली मुद्दों से भटकाया जा रहा है, ताकि जनपक्षीय सरकार का सपना भी लोग न देख सकें.
अब समय है एकजुट होने का
भाकपा(माले) ने आम जनता से आह्वान किया कि देश को राजनीतिक गुलामी से बचाने के लिए संघर्ष की आवश्यकता है. कार्यक्रम के अंत में कामरेड चारू मजूमदार, का. जौहर और का. विनोद मिश्रा सहित सभी शहीद क्रांतिकारियों को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई.
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