Bihar : विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच निर्वाचन शाखा ने इलेक्ट्रानिक और सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाली प्रचार सामग्री को लेकर सख्ती बरतनी शुरू कर दी है.
चुनाव चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि किसी भी राजनीतिक दल, प्रत्याशी या समर्थक को टेलीविजन, रेडियो, निजी एफएम, सिनेमा हॉल, सोशल मीडिया प्लेटफार्म (जैसे फेसबुक, एक्स, इंस्टाग्राम, यूट्यूब आदि) या किसी अन्य ऑडियो-वीडियो माध्यम पर प्रचार सामग्री प्रसारित करने से पहले जिला स्तरीय मीडिया प्रमाणीकरण एवं निगरानी समिति (एमसीएमसी) से अनुमति लेना अनिवार्य होगा.
बिना अनुमति प्रचार को आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा
निर्वाचन शाखा के अनुसार चुनाव आयोग ने कहा है कि एमसीएमसी से पहले अनुमति लिए बिना कोई भी प्रचार सामग्री प्रसारित या प्रकाशित नहीं की जाएगी. बावजूद इसके अगर कोई ऐसा करता है तो इसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा. साथ ही संबंधित प्रत्याशी या दल पर कार्रवाई भी की जाएगी.
जानकारी के अनुसार समिति को यह अधिकार दिया गया है कि वह किसी भी ऑडियो, वीडियो या ग्राफिक सामग्री की जांच कर यह सुनिश्चित करे कि उसमें किसी समुदाय, वर्ग या व्यक्ति के प्रति भेदभाव, नफरत या भ्रामक जानकारी शामिल नहीं है.
चुनाव आयोग के निर्देशानुसार राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों को अपनी प्रचार सामग्री जैसे वीडियो क्लिप, विज्ञापन, जिंगल, भाषण या इंटरनेट मीडिया पोस्ट प्रमाणीकरण के लिए समिति के सामने पेश करना अनिवार्य होगा.
इसके बाद समिति उक्त सामग्री की समीक्षा कर उसे सही पाए जाने पर ही अनुमति देगी. अनुमति मिलने के बाद ही संबंधित सामग्री का चुनाव प्रचार में इस्तेमाल किया जाएगा.
इंटरनेट मीडिया के बढ़ते प्रभाव की वजह से आयोग ने प्रत्याशियों को निर्देशित किया है कि वे अपने सभी आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल और अकाउंट की जानकारी नामांकन के दौरान ही निर्वाचन अधिकारी को दें.
किसी भी डिजिटल प्लेटफार्म पर अप्रमाणित या भ्रामक सामग्री मिलने पर उसे तुरंत हटाने का निर्देश दिया जाएगा. साथ ही संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.



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