Ranchi : कोरोना संक्रमण के दौरान राजधानी के रेलवे स्टेशनों में आपात चिकित्सा व्यवस्था ध्वस्त हो गई है. यात्रा के दौरान अचानक तबियत खराब होने वाले यात्रियों को तुरंत इलाज नहीं मिलने से उनकी मौत तक हो रही है. अचानक तबियत खराब होनेवाले यात्रियों के लिए चिकित्सा कर्मियों से लेकर एंबुलेंस तक की सुविधाएं भी समय पर उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं.
महामारी के कारण रेलवे ने अपने सभी चिकित्सकों को अस्पताल में ही मुस्तैद कर दिया गया है. संक्रमण के तेजी से बढ़ते मामले से निपटने के लिए रेलवे ने 46 स्वास्थ्य कर्मियों की भी अनुबंध पर नियुक्ति की है. इसमें 15 चिकित्सक, 15 पारा मेडिकल स्टाफ और 16 हॉस्पिटल अटेंडेंट हैं. कुछ नियुक्ति लंबित है. चिकित्सा कर्मियों की संख्या बढ़ने के बावजूद स्टेशनों में आपात चिकित्सा व्यवस्था की अनदेखी की जा रही है.
जिला प्रशासन ने रेलवे को नहीं दिया है एंबुलेंस
रेल यात्रियों की स्वास्थ्य सेवाओं के मद्देनजर जिला प्रशासन की ओर से एक एंबुलेंस भी उपलब्ध कराया गया है. लेकिन चालक नहीं होने के कारण इस एंबुलेंस का उपयोग नहीं किया जा रहा है. एंबुलेंस के उपयोग नहीं होने के कारण 10 मई को पठानकोट जानवाले एक यात्री जगतार सिंह को ऑटो से अस्पताल ले जाना पड़ा. रांची स्टेशन पर वह चलने के क्रम में अचानक गश खाकर गिर पड़े थे. संक्रमण के डर से कोई भी उनके पास नहीं फटका. करीब घंटे भर तक चिकित्सा कर्मियों का इंतजार होता रहा. आखिर में काफी देर बाद हटिया से चिकित्सा की टीम पहुंची. ऑटो से यात्री को गुरुनानक अस्पताल ले जाया गया. रात को अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गयी.
एंबुलेंस के मामले में रेल अधिकारी नीरज कुमार का कहना है जिला प्रशासन की ओर से रेलवे को एंबुलेंस नहीं दिया गया है. रेलवे स्टेशनों में जिला प्रशासन की ओर से आपात स्थिति के लिए एंबुलेंस की व्य़वस्था होती है. इसके चालक और अन्य व्यवस्था स्वयं जिला प्रशासन की होती है. रेलवे स्टेशन में यदि किसी बीमार यात्री को एंबुलेंस की जरूरत पड़ती है, तो मरीज यात्री को अस्पताल ले जाने के लिए रेल अधिकारी इसमें समन्वय और सहयोग करते हैं. यहां तक कि एंबुलेंस को पार्क के लिए जगह भी निर्धारित कर दी जाती है.