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सीयूजे में जीआईएस के बढ़ते महत्व पर विशेषज्ञ व्याख्यान

Ranchi : झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूजे) के मानव विज्ञान और जनजातीय अध्ययन विभाग (डीएटीएस) में मंगलवार को “सामाजिक मानव विज्ञान में जीआईएस क्यों महत्वपूर्ण है” विषय पर एक विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया. 

 

इस अवसर पर प्रसिद्ध जीआईएस विश्लेषक प्रो. मुमु डे मुख्य वक्ता रहीं. प्रो. डे ने अमेरिका के आईओएन जियोफिजिकल, मेवरिक नेचुरल रिसोर्सेज और फोर्ट बेंड काउंटी आईटी विभाग में लंबे समय तक कार्य किया है.

 

कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्कृति अध्ययन संकाय के डीन और विभागाध्यक्ष प्रो. रवींद्रनाथ शर्मा ने की. विभाग के कई संकाय सदस्य—प्रो. सुचेता सेन चौधरी, डॉ. रजनीकांत पांडे, डॉ. टी. नीशोनिंग कोइरेंग और डॉ. एम. रामकृष्णन भी उपस्थित रहे.

 


व्याख्यान के दौरान प्रो. मुमु डे ने बताया कि भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) आज सामाजिक विज्ञान अनुसंधान का एक अनिवार्य हिस्सा बन चुका है. उनके अनुसार, जीआईएस स्थानिक पैटर्न को समझने, जनसांख्यिकीय रुझान पहचानने और सांस्कृतिक प्रक्रियाओं को अधिक सटीक ढंग से व्याख्यायित करने में अहम भूमिका निभाता है.उन्होंने जनजातीय संसाधन उपयोग, प्रवासन, बस्तियों के विकास और पर्यावरणीय जोखिमों से जुड़े शोध में जीआईएस के प्रभावी उपयोग के कई उदाहरण साझा किए.

 


प्रो. डे ने बताया कि सहभागी जीआईएस (Participatory GIS) आज कई समुदायों के लिए निर्णय लेने का सशक्त माध्यम बन रहा है. तंजानिया की मासाई जनजाति और कनाडा के स्वदेशी समुदायों के उदाहरण देते हुए उन्होंने समझाया कि कैसे स्थानीय ज्ञान और तकनीक के संयोजन से भूमि अधिकार, सांस्कृतिक विरासत संरक्षण और पर्यावरण प्रबंधन जैसे मुद्दों पर ठोस शोध तैयार किया जा सकता है.

 

उन्होंने यह भी दर्शाया कि फील्डवर्क में डेटा संग्रह और मानचित्र निर्माण के लिए आधुनिक जीआईएस एप्लिकेशन कितने उपयोगी हैं.प्रो. डे ने छात्रों को जीआईएस सीखने के लिए प्रेरित किया. उनके अनुसार, यह कौशल शोध के साथ-साथ सरकारी योजनाओं, विकास परियोजनाओं, पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य अध्ययन में भी बड़े अवसर प्रदान करता है.सत्र के अंत में उपस्थित संकाय सदस्यों ने इस व्याख्यान को अत्यंत उपयोगी, प्रेरक और समयानुकूल बताया. कार्यक्रम का समापन प्रश्नोत्तर सत्र और मुख्य वक्ता को धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ.

 



 

 

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