Ranchi : झारखंड सरकार ने राज्य के किसानों को खरीफ सीजन में बड़ी राहत देने का निर्णय लिया है. अब किसानों को धान बेचने के बाद 72 घंटे (3 दिन) के भीतर पूरा भुगतान उनके बैंक खाते में भेज दिया जाएगा. खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता विभाग ने इसका विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर लिया है, जिसे अब मंत्रिमंडल (कैबिनेट) की मंजूरी के लिए भेजा जा रहा है. मंजूरी मिलते ही 15 दिसंबर से राज्य में धान खरीद की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.
700 लैम्पस केंद्रों पर शुरू होगी खरीद
राज्यभर में करीब 700 लैम्पस केंद्र में धान की खरीद की जानी है. इन सभी केंद्रों पर इस बार 4G आधारित पॉस मशीनें लगाई जा रही है, जिससे धान खरीद प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल और पारदर्शी हो जाएगी. नये व्यवस्था के तहत पॉस मशीन से किसान का सत्यापन तुरंत होगा. खरीदे गए धान का डेटा सीधे सर्वर पर अपडेट होगा. भुगतान प्रक्रिया तेज और त्रुटिरहित करने की तैयारी है. विभाग का कहना है कि नई तकनीक के कारण पहले की तुलना में रिकॉर्ड समय में भुगतान संभव होगा.
प्रति क्विंटल धान की कीमत क्या होगी
केंद्र सरकार राज्य के किसानों से धान की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रति क्विंटल 2,369 रु. की दर से करेगी. इसमें प्रति क्वटल राज्य सरकार का 100 रुपये बोनस जोड़ने पर राशि 2,469 हो जायेगी, जो किसानों को भुगतान की जाएगी. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, एक किसान अधिकतम 200 क्विंटल धान बेच सकता है. लेकिन इसके लिए एक मानदंड तय है. सरकार के मुताबिक, एक एकड़ में 16 क्विंटल तक धान की पैदावार होती है. लिहाजा, एक किसान 11 से 12 एकड़ जमीन होने पर ही 200 क्विंटल तक धान की पैदावार कर बेचने का दावा कर सकता है.
इस बार कैसे होगा भुगतान?
अब तक राज्य में धान बेचने के बाद भुगतान दो हिस्सों में मिलता था, जिसमें 50% भुगतान 24 घंटे में में की जाती थी और शेष राशि धान मील तक पहुंचने के बाद किसानों को दी जाती थी, जिसमें महीनों लग जाता था. इस नई व्यवस्था से किसानों को बड़ी आर्थिक राहत मिलेगी और वे रबी सीजन की तैयारी समय पर कर सकेंगे. विभाग का कहना है कि भुगतान व्यवस्था में सुधार के बाद अब किसानों को धान बेचने के बाद लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा, बिचौलियों की भूमिका समाप्त होगी और खरीद प्रक्रिया अधिक पारदर्शी व तेज होगी. साथ ही सरकार ने जिला प्रशासन और एफसीआई के अधिकारियों को भी खरीद केंद्रों की नियमित निगरानी के निर्देश दिए हैं, ताकि कहीं भी किसानों को परेशानी न हो.
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