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ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव स्टेडियम में फीस का खेल उजागर, खिलाड़ी व अभिभावक नाराज

Ranchi: रांची के खेलगांव स्थित ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव स्टेडियम में प्रशिक्षण लेने वाले बच्चों और युवाओं के सामने बड़ी संकट खड़ी हो गई है. स्टेडियम की देखरेख करने वाली सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) पर बार-बार फीस बढ़ाने का आरोप है, जिससे खिलाड़ियों, कोचों और अभिभावकों में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है.

 

फीस बढ़ोतरी का विवाद - 500 से सीधे 2000 रूपये तक!

 

जानकारी के अनुसार, पहले प्रति बच्चे 500 रूपये मासिक शुल्क लिया जाता था. इसके बाद GST जोड़कर फीस बढ़ाई गई. अब दिसंबर 2025 से फीस को सीधे 2000 + 18% GST कर दिया गया है.

खिलाड़ियों और अभिभावकों का आरोप है कि नवंबर तक जिन्होंने 708 रुपये देकर रिन्यूअल कराया था, उनके फॉर्म भी अचानक रिजेक्ट कर दिए गए, जिससे लोगों में नाराजगी और बढ़ गई है.

लोगों का कहना है कि सरकारी स्टेडियम में इतनी भारी फीस लेना अमूमन गरीब और मध्यमवर्गीय खिलाड़ियों को प्रशिक्षण से दूर कर देगा.


कोचों का आरोप है कि बच्चों का भविष्य खतरे में है. कोचों ने साफ कहा है कि लगातार बढ़ती फीस से कई प्रतिभाशाली बच्चे स्टेडियम आना बंद कर देंगे. ज्यादातर खिलाड़ी साधारण परिवारों से आते हैं, हर महीने 2000 + GST देना उनके लिए संभव नहीं. CCL बिना किसी ठोस कारण के शुल्क बढ़ाकर बच्चों के करियर पर ताला लगा रहा है.

अभिभावकों का कहना है कि खेल प्रतिभा को आगे बढ़ाने की जगह उनसे पैसे वसूले जा रहे हैं. एक अभिभावक ने कहा कि बच्चों का भविष्य दांव पर है, यह सरासर अन्याय है. बढ़ती फीस से खेल का भविष्य खतरे में है. परिवारों का कहना है कि अगर यह स्थिति जारी रही तो कई बच्चे मजबूरी में स्टेडियम आना छोड़ देंगे. कहा कि  राज्य की उभरती प्रतिभाएं शुरुआत में ही टूट जाएंगी. झारखंड को मिलने वाली भविष्य की मेडल वाली उम्मीदें प्रभावित होंगी.


खिलाड़ियों का स्पष्ट कहना है कि सरकारी स्टेडियम का उद्देश्य खेल को बढ़ावा देना होना चाहिए, न कि आम लोगों के लिए उसे महंगा और मुश्किल बनाना. सभी की एक ही मांग है कि फीस बढ़ोतरी वापस लो.

 

कोच, खिलाड़ी और अभिभावकों की सामूहिक मांग

 

1. CCL तुरंत फीस बढ़ाने का फैसला वापस ले.


2. फीस बढ़ोतरी की उच्चस्तरीय जांच हो.


3. स्टेडियम की सुविधाएं सभी के लिए सुलभ और किफायती रखी जाएं.

लोगों का कहना है कि यदि समय रहते कदम नहीं उठाया गया, तो झारखंड की खेल प्रतिभाएं सबसे ज्यादा नुकसान झेलेंगी.

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