Patna : बिहार की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है. जन सुराज अभियान के संयोजक प्रशांत किशोर और उनके सैकड़ों समर्थकों पर सचिवालय थाना में FIR दर्ज की गई है. उन पर प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रदर्शन करने और शांति व्यवस्था भंग करने का आरोप है. मजिस्ट्रेट के बयान के आधार पर प्रशांत किशोर समेत करीब 300 अज्ञात लोगों को नामजद किया गया है. सिटी एसपी (सेंट्रल) दीक्षा ने इस बात की पुष्टि की है.
यह तो सिर्फ शुरुआत है : पीके
प्रशांत किशोर ने इस कार्रवाई को सरकार की तानाशाही प्रवृत्ति करार दिया. उन्होंने कहा कि यह तो सिर्फ शुरुआत है. अगर सरकार हमारी आवाज नहीं सुनेगी, तो अगली बार एक लाख लोग सड़कों पर उतरेंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जनता की समस्याओं से मुंह मोड़ रही है और विरोध की आवाज को दबाया जा रहा है.
ये नेता नहीं, बिहार का बेटा है 🔥
— JanSuraajForBihar (@ForSuraaj) July 24, 2025
नीतीश सरकार के तानाशाही रवैये को देखकर अंग्रेज़ों की याद आ गई 😡 #jansuraaj #specialintensiverevision pic.twitter.com/qqWE2639dz
विभिन्न मुद्दों को लेकर विधानसभा का घेराव करने निकले थे समर्थक
दरअसल मानसून सत्र के दौरान किशोर के नेतृत्व में जन सुराज समर्थक शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और भू-सर्वेक्षण में कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ विधानसभा का घेराव करने निकले थे. चितकोहरा गोलंबर के पास पुलिस ने बैरिकेड्स लगाकर उन्हें रोकने की कोशिश की.
लेकिन प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड तोड़कर आगे बढ़ने का प्रयास किया. इसके बाद हालात बिगड़ गए और पुलिस को लाठीचार्ज व वाटर कैनन का सहारा लेना पड़ा. इस दौरान कई प्रदर्शनकारी घायल हुए और प्रशांत किशोर को भी हिरासत में लिया गया, हालांकि बाद में उन्हें छोड़ दिया गया.
जन सुराज समर्थक और प्रशासन के दावे अलग
जन सुराज समर्थकों का दावा है कि उनका आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण था और पुलिस ने बेवजह बल का प्रयोग किया. उनका कहना है कि वे सिर्फ लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखना चाहते थे, लेकिन सरकार ने दमनात्मक रवैया अपनाया.
वहीं, प्रशासन का कहना है कि प्रदर्शन बिना अनुमति के किया गया और विधानसभा के आसपास का क्षेत्र प्रतिबंधित था. सिटी एसपी के अनुसार, प्रदर्शनकारियों को कई बार चेतावनी दी गई, लेकिन जब उन्होंने जबरन आगे बढ़ने की कोशिश की, तो न्यूनतम बल का प्रयोग किया गया ताकि हालात बेकाबू न हों.
प्रशांत किशोर का उभरता राजनीतिक चेहरा
चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर अब बिहार में एक वैकल्पिक राजनीतिक ताकत के रूप में उभरने की कोशिश कर रहे हैं. नीतीश कुमार, नरेंद्र मोदी और ममता बनर्जी जैसे दिग्गज नेताओं के लिए चुनावी रणनीति बना चुके किशोर अब जन सुराज अभियान के जरिए राज्य की राजनीति में नई जमीन तलाश रहे हैं. 5,000 से ज्यादा गांवों में 3,000 किलोमीटर की पदयात्रा ने उन्हें जनता के बीच पहुंचाने का काम किया है.
हालांकि 2024 के उपचुनाव में उनकी पार्टी को कोई खास सफलता नहीं मिली, लेकिन शिक्षा, रोजगार, शराबबंदी हटाने और सुशासन जैसे मुद्दों पर आधारित उनका अभियान खासकर युवाओं और ग्रामीण जनता के बीच तेजी से समर्थन हासिल कर रहा है.
नीतीश सरकार को उन्होंने “नौकरशाही का जंगलराज” और लालू राज को “संगठित अपराध का जंगलराज” कहकर राजनीतिक बहस को और तेज कर दिया है. अब देखना होगा कि यह आंदोलन क्या सच में बिहार में एक नई राजनीति की शुरुआत बन पाएगा या यह सिर्फ एक और विरोध की गूंज बनकर रह जाएगा.
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