- ईरान से व्यापार पर एक्शन में ट्रंप प्रशासन
- छह भारतीय कंपनियों पर लगाए प्रतिबंध
- अमेरिका के ईरान प्रतिबंध कानून के उल्लंघन का आरोप
NewDelhi : भारत पर 25% टैरिफ लगाने के ऐलान के बाद अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान से पेट्रोलियम उत्पादों की खरीद और वितरण में शामिल पाए जाने पर छह भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय का आरोप है कि ये कंपनियां ईरान पर लगे प्रतिबंधों की अवहेलना कर रही थीं और जानबूझकर ऐसे लेन-देन में शामिल थीं, जो अमेरिका के ईरान प्रतिबंध कानून का उल्लंघन करते हैं.
अमेरिका ने जिन 6 भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए हैं, उनमें अलकेमिकल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, ग्लोबल इंडस्ट्रियल केमिकल्स लिमिटेड, ज्यूपिटर डाई केम प्राइवेट लिमिटेड, रमणिकलाल एस गोसलिया एंड कंपनी, परसिस्टेंट पेट्रोकेम प्राइवेट लिमिटेड और कंचन पॉलिमर शामिल हैं.
इन कंपनियों पर लगा प्रतिबंध
कंचन पॉलिमर : कंपनी पर ईरानी फर्म तानाइस ट्रेडिंग से 1.3 मिलियन डॉलर मूल्य के पॉलीइथिलीन उत्पाद आयात करने का आरोप है.
अलकेमिकल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड : इस पर 2024 में करीब 84 मिलियन डॉलर के ईरानी पेट्रोकेमिकल्स खरीदने का आरोप है.
रमणिकलाल एस गोसलिया एंड कंपनी : कंपनी ने 22 मिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के मेथनॉल व टोल्यूनि उत्पादों का ईरान से आयात किया.
ज्यूपिटर डाई केम प्राइवेट लिमिटेड : जनवरी 2024 से जनवरी 2025 के बीच लगभग 49 मिलियन डॉलर के टोल्यूनि जैसे उत्पादों की खरीद की.
ग्लोबल इंडस्ट्रियल केमिकल्स लिमिटेड : इस पर 51 मिलियन डॉलर से अधिक के ईरानी मेथनॉल आयात का आरोप है, जिसके आधार पर इसे Executive Order 13846 के तहत प्रतिबंधित किया गया.
परसिस्टेंट पेट्रोकेम प्राइवेट लिमिटेड : कंपनी ने अक्टूबर से दिसंबर 2024 के बीच 14 मिलियन डॉलर के मेथनॉल सहित ईरानी पेट्रोकेमिकल उत्पादों का आयात किया.
भारत के लिए बढ़ती मुश्किलें
बता दें कि 30 जुलाई को डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के आयात पर पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा की. यह टैरिफ एक अगस्त से भारत पर लागू होगा. इसके अलावा ट्रंप ने रूस से तेल व रक्षा सौदों पर जुर्माना भी लगाया जायेगा. अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस कदम के पीछे रूस से भारत के निरंतर तेल आयात और लंबे वक्त से चली आ रही व्यापार बाधाओं को बड़ी वजह बताया है.
वहीं अब ईरान से व्यापार करने पर छह भारतीय ऑयल कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं. ट्रंप के इस फैसले से भारत की विदेश व्यापार नीति और रणनीतिक साझेदारियों को चुनौतीपूर्ण मोड़ पर ला खड़ा कर दिया है.
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