Ranchi: जमशेदपुर की रहने वाली गरिमा टोप्पो रविवार को खूंटी के पेरवाघाघ जलप्रपात में बह गईं. मिली जानकारी के अनुसार गरिमा लंबे समय से रांची में रह रहीं थी. वह वुमेन एंड जेंडर रिसोर्स सेंटर और झारखंड जनाधिकार महासभा नामक एनजीओ में काम करती थीं. रविवार को वह अपने छह दोस्तों के साथ तोरपो के बेरांग स्थित पेरवाघाघ घुमने गईं थीं. उनके दोस्तों ने बताया कि घुमने के दौरान गरिमा पानी में गई. जहां उनका पैर फिसल गया. पानी का बहाव तेज होने से वह बहाव के साथ बह गईं.
प्राप्त सूचना के अनुसार वो लोगों को आधे किलोमीटर तक बहती नजर आई. अभी तक उनके मिलने की कोई सूचना नहीं मिली है. इसकी जानकारी फिलहाल उनके परिवार तक नहीं पहुंची थी. उनके दोस्तो ने बताया कि यह किसी तरह कोशिश कर रहे हैं कि हम उनतक गरिमा के डूबने की बात पहुंचा दें. वहीं उनके दोस्त भी घटना से काफी सहमे और परेशान हैं.
इसे भी पढ़ें- पश्चिमी सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स की आमसभा में सदस्यता शुल्क नहीं लेने का निर्णय, चुनाव 19 सितंबर को
गोताखोरों की मदद से की जा रही है खोज
गरिमा को बहता देख दोस्तों ने तुरंत अपने संपर्क में लोगों को फोन लगा उन्हें ढूंढने के लिए कहा. स्थानीय गोताखोरों ने तुरंत वहां खोजबीन करनी शुरु की. इसकी जानकारी खूंटी जिला स्थित तपकारा पुलिस स्टेशन और एसपी को दी गई. जिसके बाद उन्होंने भी टीम भेजकर गरिमा को खोजना शुरु कर दिया है. इसमें एनडीआरएफ की भी टीम लगीं हुई थीं. उनके दोस्तों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार शाम 6 बजे तक वह नहीं मिली है. बारिश और पानी का बहाव तेज होने के कारण उन्हें ढूंढने का कार्य सोमवार को किया जाएगा.
सोमवार को जलप्रपात से लगभग एक किमी दूर मिलने की है संभावना- स्थानीय
स्थानीय लोगों का कहना है कि जलप्रपात में डूबने वाले अधिकांश लोग डूब कर लगभग 1 किलोमीटर दूर एक टापू पर मिलते हैं. तो गरिमा के भी मिलने की संभावना यहीं है. कोयल कारो जलसंगठन के लोगों ने भी लड़की की खोज के लिए नदीं किनारे के गांवों को सूचित किया है. कल सुबह तक इस संबंध में कुछ जानकारी प्राप्त होने की संभावना जतायी जा रही है. स्थानीय गोताकोरों के अनुसार नदी का पानी रात 10 बजे और सुबह के करवी 5-6 बजे गर्म होती है. इसके बाद ही इस संबंध में कुछ जानकारी मिल सकती है.
सामाजिक कामों में काफी एक्टिव हैं गरिमा
दी गई जानकारी के अनुसार गरिमा राज्य में आदिवासी, महिलाओं और मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले दूसरे एनजीओ के साथियों और दोस्तों के साथ घुमने गईं थीं. वह संत जेवियर कॉलेज की छात्रा थीं. कॉलेज के साथ ही वह सोशल वर्क में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेतीं थी. वह समाजिक कामों में काफी एक्टिव थीं.
इसे भी पढ़ें- टॉफी एवं टी शर्ट खरीद में रघुवर सरकार को क्लीन चिट पर सरयू राय का पलटवार, कहा-फर्जीवाड़ा के पुख्ता सबूत हैं