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जीईएल चर्च का 180 वर्ष पूरा: 1845 से 2025 तक शिक्षा और सेवा में है योगदान

Ranchi: 2 नवंबर 1845 यही वह ऐतिहासिक दिन था. जब जीईएल चर्च (Gossner Evangelical Lutheran Church) की नींव रखी गई थी. आज 180 वर्ष पूरा हो गया. यह चर्च भारत में शिक्षा और समाजसेवा का मजबूत स्तंभ बन चुका है.
इन 180 वर्षों में चर्च ने सामाजिक बदलाव, शिक्षा, स्वास्थ्य और आदिवासी अधिकारों की दिशा में अद्भुत कार्य किया है. आदिवासियों के मसीहा ऐनई होरो और सुशीला केरकेट्टा जैसे प्रखर  जननायकों ने आदिवासी समाज की आवाज संसद में बुलंद की थी.

 

आज जीईएल चर्च इन छोटानागपुर एंड असम का विस्तार झारखंड, बिहार, बंगाल, असम, अंडमान निकोबार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र,ओडिशा, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों में फैल चुका है.

 

शिक्षा के क्षेत्र में चर्च का है महत्वपूर्ण योगदान

 
चर्च की नींव रखने के बाद यह समाज सेवा के साथ समाज शैक्षणिक कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाई है. जिसमें 6 कॉलेज चल रहा है, जिनमें - गोस्सनर कॉलेज शामिल हैं. इसके अलावा एक बी.एड. कॉलेज, एम.एड. कॉलेज, प्राइमरी टीचर ट्रेनिंग सेंटर, 23 हाईस्कूल, 4 हायर सेकेंडरी स्कूल, 54 मिडिल स्कूल, 101 प्राइमरी स्कूल, 9 इंग्लिश मिडिल स्कूल, एक टेक्निकल ट्रेनिंग स्कूल, एक ओल्ड एज होम और 3 किंडर गार्डन स्कूल संचालित किए जा रहे हैं.


401232 की आबादी में 2000 चर्च


वर्तमान में जीईएल इन छोटानागपुर एंड असम चर्च के तहत 401,232 सदस्य और करीब 2000 चर्च सक्रिय हैं. इनमें 209 पुरुष पादरी और 54 महिला पादरी सहित कुल 214 पादरी अपनी सेवाएं दे रहे हैं. 180 वर्षों की यह यात्रा एक इतिहास के पन्नों में दर्ज है. यह एक संघर्ष, सेवा और समर्पण की प्रेरक गाथा को प्रदर्शित करता है. जिसने समाज को नई दिशा दी है.

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