Ghatshila : चाकुलिया की सरडीहा पंचायत में पश्चिम बंगाल सीमा से सटे गांवों के किसान करेला की खेती कर स्वावलंबी बन रहे हैं. बिना किसी सरकारी सुविधा के निजी स्तर से सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कर किसानों ने करीब एक सौ एकड़ खेत में करेला की खेती की है. पंचायत के मौराबांधी गांव के किसानों ने लगभग 20 एकड़ खेत में करेला की खेती की है. इसी तरह पाकुड़िया, बांकशोल और सांपधरा के किसानों ने बड़े पैमाने पर करेला की खेती की है. फसल लहलहा रही है और पिछले 20 दिनों से करेले की तुड़ाई शुरू हो गई है. यहां उत्पादित करेला की आपूर्ति झारखंड के बड़े शहरों के अलावे पश्चिम बंगाल और बिहार में भी की जा रही है.
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25 से 30 रुपये प्रति किलो की दर से करेला बेच रहे किसान
किसान गांव में ही व्यापारियों को 25 से 30 रुपये प्रति किलो की दर से करेला बेच रहे हैं. इन गांवों में करेला खरीदने के लिए पश्चिम बंगाल और बिहार से व्यापारी आते हैं. मौराबांधी गांव के किसान महादेव पाल ने बताया कि यहां सरकार द्वारा सिंचाई की सुविधा बहाल नहीं की गई है. किसान निजी स्तर पर बोरिंग की व्यवस्था कर करेले की खेती कर रहे हैं. गांव में करीब 20 एकड़ खेत में करेले की खेती हुई है.
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रोजाना 50 से 60 क्विंटल करेले का उत्पादन
रोजाना 50 से 60 क्विंटल करेले का उत्पादन होता है. उन्होंने बताया कि एक बीघा करेले की खेती में करीब 35 हजार रुपये का खर्च आता है. एक बीघा खेत में करीब एक लाख रुपये के करेले की उपज होती है. इस वर्ष करेले की अच्छी कीमत मिल रही है. चार माह तक करेले का उत्पादन होता है. गांव के अलावे पाकुड़िया और बांकशोल गांव के किसान भी बड़े पैमाने पर करेला की खेती कर रहे हैं. करेला खरीदने के लिये यहां पर झारखंड बंगाल और बिहार के व्यापारियों का जमावड़ा लगा रहता है. पंचायत के गांवों से रोजाना 250 से 300 क्विंटल करेले का उत्पादन हो रहा है.
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बिजली की कटौती परेशानी का कारण
किसानों ने कहा कि बिजली की कटौती परेशानी का कारण बन रही है. दोपहर एक बजे से शाम छह बजे तक बिजली काट दी जाती है. इससे किसानों को फसल की सिंचाई करने में परेशानी होती है. किसानों ने बिजली विभाग से नियमित रूप से बिजली देने की मांग की है.
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पढ़ाई के साथ कई छात्रों ने शुरू की करेले की खेती
यहां पर सबर जनजाति के लोग भी अब खेती करने लगे हैं. कई सबर परिवारों ने भी करेले की खेती करनी शुरू कर दी है. गांव के सनातन सबर ने भी करीब 10 कट्ठा जमीन पर करेले की खेती की है. सनातन सबर कक्षा दसवीं का छात्र है. इसी तरह कई अन्य सबरों ने भी करेले की खेती की है और करेला बेचकर आमदनी प्राप्त कर रहे हैं. कई ऐसे छात्र हैं जो पढ़ाई के साथ करेले की खेती कर रहे हैं.