Ranchi: झारखंड की राजनीतिक सरगर्मियों का केंद्र इन दिनों घाटशिला विधानसभा उपचुनाव बन गया है. पूर्व शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के निधन के बाद खाली हुई, इस सीट पर सत्ता और विपक्ष, दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. सत्तारूढ़ इंडिया गठबंधन जहां किसी भी कीमत पर अपनी यह परंपरागत सीट बचाने की रणनीति बना रहा है. वहीं एनडीए ने इसे फतह झारखंड अभियान की शुरुआत बताया है.
राज्य गठन के बाद तीनों दलों का रहा प्रभाव
घाटशिला विधानसभा का इतिहास दिलचस्प रहा है. राज्य गठन के बाद हुए पांच चुनावों में इस सीट पर कांग्रेस, भाजपा और झामुमो तीनों दलों को जीत का स्वाद मिल चुका है. 2005 में कांग्रेस के प्रदीप बलमुचू ने बाजी मारी थी, जबकि 2009 में रामदास सोरेन ने झामुमो के टिकट पर जीत दर्ज कर सीट छीनी.
2014 में भाजपा के लक्ष्मण टुडू ने झामुमो को पराजित किया, लेकिन 2019 और 2024 के चुनावों में रामदास सोरेन ने वापसी करते हुए लगातार दो बार जीत हासिल की.
2024 के चुनाव में झामुमो–कांग्रेस गठबंधन के रामदास सोरेन ने 51.5% वोट लेकर भाजपा के बाबूलाल सोरेन (39.8%) को हराया था.
झामुमो के लिए सीट बचाना आसान नहीं
रामदास सोरेन के निधन के बाद यह सीट एक बार फिर झामुमो के लिए राजनीतिक परीक्षा बन गई है. पार्टी जहां दिवंगत नेता की सहानुभूति लहर पर भरोसा जता रही है, वहीं भाजपा इसे पूर्व मंत्री के निधन के बाद बनी शून्यता को सत्ता विरोधी लहर में बदलने की कोशिश में है.
इस बार मुकाबले को और दिलचस्प बना रही है जयराम महतो की नई पार्टी जेकेएलएम, जिसने इलाके में तीसरे मोर्चे की उम्मीदें जगा दी हैं.
छह उपचुनावों में पांच पर जीत चुकी है इंडिया गठबंधन
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में गठित इंडिया गठबंधन सरकार के कार्यकाल में अब तक छह उपचुनाव हुए हैं. जिनमें - दुमका, बेरमो, मधुपुर, मांडर और डुमरी सीटों पर गठबंधन को जीत मिली है. जबकि केवल रामगढ़ में आजसू (एनडीए समर्थित) उम्मीदवार विजयी रही. ऐसे में घाटशिला उपचुनाव सातवां उपचुनाव होगा और यह देखना दिलचस्प होगा कि गठबंधन अपनी जीत की श्रृंखला को आगे बढ़ा पाता है या नहीं.
इन छह उपचुनावों में रहा गठबंधन का दबदबा
दुमका (2020) – मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा बरहेट सीट रखने और दुमका सीट छोड़ने के बाद हुए उपचुनाव में झामुमो के बसंत सोरेन ने जीत दर्ज की.
बेरमो (2020) – कांग्रेस विधायक राजेंद्र सिंह के निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनके पुत्र कुमार जयमंगल (अनूप सिंह) ने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की.
मधुपुर (2021) – झामुमो के वरिष्ठ नेता और मंत्री हाजी हुसैन अंसारी के निधन के बाद उनके पुत्र हफीजुल हसन अंसारी ने यह सीट जीती.
मांडर (2022) – कांग्रेस विधायक बंधु तिर्की की सदस्यता रद्द होने के बाद उपचुनाव में कांग्रेस की शिल्पी नेहा तिर्की ने जीत दर्ज की.
रामगढ़ (2023) – कांग्रेस विधायक ममता देवी की सदस्यता रद्द होने के बाद हुए उपचुनाव में एनडीए समर्थित आजसू पार्टी की सुनीता देवी विजयी रहीं यह एकमात्र सीट रही, जहां इंडिया गठबंधन हार गया.
डुमरी (2023) – झामुमो के वरिष्ठ मंत्री जगरनाथ महतो के निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी बेबी देवी (झामुमो) ने बड़ी जीत दर्ज की.
घाटशिला सीट का अब तक का चुनावी रिकॉर्ड
2005: प्रदीप बलमुचू (कांग्रेस) – 40.0%, रामदास सोरेन (निर्दलीय) – 27.1%
2009: रामदास सोरेन (झामुमो) – 30.2%, प्रदीप बलमुचू (कांग्रेस) – 29.3%
2014: लक्ष्मण टुडू (भाजपा) – 32.5%, रामदास सोरेन (झामुमो) – 28.5%
2019: रामदास सोरेन (झामुमो) – 37.5%, लक्ष्मण मरांडी (भाजपा) – 33.5%
2024: रामदास सोरेन (झामुमो) – 51.5%, बाबूलाल सोरेन (भाजपा) – 39.8%
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