युवाओं के लिए ट्रेनिंग और महिलाओं के लिए स्वरोजगार का किया जाएगा प्रबंध
Barkagaon (Hazaribagh) : गोंदलपुरा खनन परियोजना के तहत शुक्रवार की देर शाम प्रभावित गांव के ग्रामीणों के साथ एक परिचर्चा का आयोजन किया गया. बड़कागांव स्थित अदानी इंटरप्राइजेज लिमिटेड के कार्यालय में आयोजित इस परिचर्चा में गोन्दलपुरा, गाली, बलोदर, हाहे और फुलांग समेत अन्य कई गांव के लोग शामिल हुए. परिचर्चा में महिलाओं और युवाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. करीब चार घंटे से अधिक समय तक चले इस कार्यक्रम में ग्रामीणों ने विभिन्न तरह की अपनी आशंकाओं को रखा, जिसपर कंपनी प्रबंधन ने जवाब दिया और उनकी आशंकाओं को दूर किया.
ग्रामीणों ने कंपनी प्रबंधन पूछे ये सवाल
परिचर्चा के दौरान ग्रामीणों और रैयतों ने कंपनी प्रबंधन से पूछा कि उन्हें जमीन के बदले मुआवजे की राशि कितनी मिलेगी. चूंकि परियोजना के लिए जमीन देनी होगी, इसलिए रोजगार के क्या वैकल्पिक साधन उपलब्ध कराए जाएंगे. कुछ ग्रामीणों ने कहा कि गैर मजरुआ भूमि के लिए जमीन की रसीद नहीं कट रही है, ऐसी स्थिति में क्या दूसरा रास्ता निकलेगा, जो लाभप्रद हो. ग्रामीणों ने यह भी कहा कि मुआवजे और नौकरी में स्थानीय को प्राथमिकता मिलनी चाहिए. ग्रामीणों ने कंपनी प्रबंधन से मुआवजे और पेंशन की राशि और कंपनी प्रबंधन की ओर से मिलने वाले रोजगार में आरक्षण की भी जानकारी ली.
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युवाओं ने की ट्रेनिंग देने और खेल को बढ़ावा देने की मांग की
मौके पर मौजूद युवाओं ने कंपनी प्रबंधन से पूछा उनके लिए कंपनी के पास क्या योजना है. वो युवा हैं, कई पढ़े-लिखे भी हैं, उन्हें कैसे प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि वो स्व-रोजगार कर सकें. कुछ युवाओं ने स्थानीय स्तर पर खेल को बढ़ावा देने की मांग की. युवाओं ने कहा कि इलाके में खनन होना तय है, इसलिए उन्हें अभी से ही माइनिंग का प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि खनन शुरू होते ही उन्हें रोजगार मिल सके. महिलाओं ने कहा कि खनन में वो काम नहीं करेंगी, इसलिए उन्हें स्वरोजगार से जोड़ा जाए.
तय नियमों के अनुसार, रैयतों को मिलेगी सभी सुविधाएं : प्रबंधन
ग्रामीणों के सभी सवालों का कंपनी प्रबंधन ने एक-एक कर जवाब दिया. कंपनी प्रबंधन के अधिकारियों ने कहा कि भारत सरकार के कोयला मंत्रालय की ओर से इस कोयला खान का आवंटन हुआ है. इसलिए केंद्र और राज्य सरकार के नियमों के अनुसार ही सारे कार्य किए जाएंगे. तय नियमों के अनुसार, रैयतों को सभी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी. युवाओं को उनके स्किल के अनुसार प्रशिक्षण मिलेगा, ताकि वो नौकरी के लिए उपयुक्त बन सकें. इस परियोजना के खुलने से सैंकड़ों लोगों को रोजगार मिलेगगा, साथ ही प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे. ग्रामीणों को यह भी बताया गया कि जब तक नया निर्माण नहीं हो जाता, तब तक कोई पुराना निर्माण नहीं तोड़ा जाएगा, चाहे वो परियोजना क्षेत्र का स्कूल हो या कुछ और. इसलिए इससे ग्रामीणों या पारा शिक्षकों को घबराने की जरुरत नहीं है.
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10 किमी के अंदर ही रैयतों और ग्रामीणों के पुनर्वास की कोशिश
कंपनी प्रबंधन ने कहा कि दस किलोमीटर के अंदर ही रैयतों और ग्रामीणों के पुनर्वास की कोशिश की जाएगी, ताकि पर्यावरण में कोई अंतर न हो. साथ ही इसका भी ध्यान रखा जाएगा कि ग्रामीणों को अतिरिक्त लाभ मिले. विकलांग और विधवा को पेंशन मिले, ग्रामीणों को पेड़, कुंआ, तालाब आदि का अलग से मुआवजा मिले. साथ ही मुआवजे की दर आज की महंगाई के अनुसार हो. कंपनी यह सुनिश्चित करेगी कि किसी के साथ अन्याय न हो और सभी चीजें पारदर्शी रहे. अधिकारियों ने यह स्पष्ट किया कि प्रबंधन की मंशा साफ है, और क्षेत्र का विकास करने की नीयत है. इसलिए ग्रामीण उनपर भरोसा रखें, ताकि प्रबंधन उनके लिए बेहतर कर सकें.
युवा बताएं, किसमें हैं रूचि
कंपनी प्रबंधन ने युवाओं से पूछा कि बताएं कि उन्हें किन चीजों का प्रशिक्षण चाहिए. वे एक समूह बनाएं, ताकि उन्हें उनकी इच्छानुसार हजारीबाग या बड़कागांव में ही प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की जा सके. महिलाओं के लिए सिलाई ट्रेनिंग सेंटर और वहां बनने वाले कपड़ों की मार्केटिंग कराए जाने की बात कही गई. इसके अलावा पशुपालन, पापड़ उद्योग, लोकल आर्ट और सेल्फ हेल्प ग्रुप भी बनाए जाने पर चर्चा की गई. कार्यक्रम में परियोजना प्रमुख धर्मेंद्र दूबे, डीजीएम संजय कुमार, सीएसआर प्रबंधक मोहित गुप्ता समेत कंपनी के अन्य अधिकारी और बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे.
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