- गैर सरकारी संकल्प में भाजपा विधायक ने कहा, राजनीतिक फायदा लेने के लिए हुआ है निर्णय
उर्दू भाषी भी बोलचाल में उपयोग नहीं करते
भाजपा विधायक ने कहा कि जेएसएससी द्वारा मैट्रिक तथा इंटरमीडिएट स्तर की प्रतियोगिता परीक्षाओं में जिला स्तरीय सभी पदों के लिए पत्र- दो में जिलावार क्षेत्रीय व जनजातीय भाषाओं को चिन्हित किया गया है. राष्ट्रीय भाषा हिंदी को समाप्त कर बिना किसी मापदंड के सभी जिलों में स्थानीय भाषाओं के साथ-साथ उर्दू को भी क्षेत्रीय भाषा के रूप में शामिल किया गया है. हकीकत यह है कि राज्य के किसी भी जिले में उर्दू भाषी लोगों द्वारा उक्त भाषा को बोलचाल में उपयोग नहीं किया जाता है.आलमगीर आलम ने दिया ये जवाब
संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा है कि उर्दू राज्य की दूसरी राजकीय भाषा है.सरकार ने जेएसएससी को लेकर जो नियमावली बनायी है, उसमें स्पष्ट है कि पहला पेपर `हिंदी व इंग्लिश` में क्वालीफाई करने वाले बच्चों का ही जनजाति भाषा या अन्य क्षेत्रीय भाषाओं का पेपर चेक किया जाएगा.सरकार की मंशा राजनीतिक फायदा लेना है
मनीष जायसवाल ने कहा कि उर्दू को सभी जिलों में जोड़ने के पीछे की मंशा सरकार का राजनीतिक फायदा लेना है. पूर्व के 20 और 24 दिसंबर 2021 को जारी नोटिफिकेशन में उर्दू को कुछ जिलों में शामिल किया गया था, लेकिन बाद में पूर्व के नोटिफिकेशन को रद्द करते हुए सरकार ने 18 फरवरी 2022 को नया नोटिफिकेशन जारी किया. इसमें सभी जिलों के क्षेत्रीय भाषा में उर्दू को जोड़ने का काम किया गया है. इसे भी पढ़ें – नगर">https://lagatar.in/will-provide-benefits-of-schemes-of-agriculture-and-animal-husbandry-department-in-municipal-corporation-area-also-satyanand-bhokta/">नगरनिगम क्षेत्र में भी कृषि व पशुपालन विभाग की योजनाओं का लाभ दिलायेंगे : सत्यानंद भोक्ता [wpse_comments_template]

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