Varanasi : उत्तर प्रदेश के वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग पर जिला जज एके विश्वेश की अदालत ने सुनवाई के बाद फैसला टाल दिया. कोर्ट ने इस मामले 11 अक्टूबर की अगली तारीख दे दी है. आज सुनवाई के दौरान 64 लोगों को कोर्ट में मौजूद रहने की इजाजत दी गई थी. ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी केस मामले में शिवलिंग की कार्बन डेटिंग पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. दरअसल कार्बन डेटिंग का उपयोग कार्बनिक पदार्थों की आयु को जानने के लिए किया जाता है.
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हिंदू पक्ष की पांच महिलाओं की टीम ही दो खेमे में बंटी
इस मामले में कार्बन डेटिंग पर वाद दाखिल करने वाली हिंदू पक्ष की पांच महिलाओं की टीम ही दो खेमे में बंट गयी थी. राखी सिंह कार्बन डेटिंग का विरोध कर रही थीं, जबकि अन्य चार वादिनी इसके पक्ष में थीं. राखी सिंह के अधिवक्ता का कहना है कि हमारा विरोध शिवलिंग की कार्बन डेटिंग का है. बाकी पूरे परिसर की कार्बन डेटिंग हो हमारा पूरा सहयोग रहेगा. उन्होंने कहा कि शिवलिंग की कार्बन डेटिंग हम नहीं होने देंगे. हमें पूर्ण विश्वास है कि फैसला हमारे पक्ष में आएगा. वहीं दूसरा हिंदू पक्ष कह रहा है कि कोर्ट का फैसला हमारे पक्ष में आएगा. राखी सिंह की ओर से जितेंद्र सिंह बिसेन का कहना है कि आराध्य भगवान शिव हैं, जिनको शंका है, वही लोग कार्बन डेटिंग की मांग कर रहे हैं.
मुस्लिम पक्ष ने कार्बन डेटिंग का विरोध किया
वहीं फास्ट ट्रैक कोर्ट में भगवान आदि विश्वेश्वर विराजमान 7/11 पर नियमित सुनवाई प्रारंभ होगी. हो सकता कोर्ट की ओर से यह आदेश आये कि ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग को स्पर्श किये बगैर वैज्ञानिक तरीके से शिवलिंग की जांच की जाए और साथ ही पूरे परिसर की एएसआई से जांच कराई जाए. वहीं, मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी का मानना है कि जिसको शिवलिंग कहा जा रहा है, वह एक फव्वारा है. कमेटी ने भी कार्बन डेटिंग का विरोध किया था.
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