Patna : राज्य में एक ओर लोग कोरोना महामारी और ब्लैक फंगस से परेशान हैं, तो दूसरी तरफ कोरोना मरीजों के लिए अब हैप्पी हाइपोक्सिया जानलेवा साबित हो रहा है. बिहार में हैप्पी हाइपोक्सिया बीमारी एक नयी समस्या बनकर सामने आ रही है. राज्य के कई अस्पतालों में इससे पीड़ित मरीज मिल रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि हैप्पी हाइपोक्सिया के कारण करीब पांच फीसदी लोगों की मौत हुई है.
पटना एम्स में हैप्पी हाइपोक्सिया के कई केस सामने आये
पटना एम्स के कोविड वार्ड के नोडल पदाधिकारी डॉ संजीव कुमार ने बताया कि पिछले 20 दिनों से एम्स में हैप्पी हाइपोक्सिया के अधिक केस सामने आ रहे हैं. इनमें से कुछ की मौत भी हो गयी है. कुछ मरीज ठीक भी हो रहे हैं.
क्या है हैप्पी हाइपोक्सिया
डॉ संजीव ने बताया कि हैप्पी हाइपोक्सिया कोरोना का एक नया लक्षण है. इसमें संक्रमित मरीज को बुखार, खांसी, सर्दी, सांस फूलने की समस्या नहीं होती, लेकिन अचानक मरीजों का ऑक्सीजन लेवल गिरने लगता है. इससे मरीजों की जान खतरे में पड़ सकती है. हाइपोक्सिया किडनी, दिमाग, दिल और अन्य प्रमुख अंगों को प्रभावित करता है. डॉ संजीव ने कहा कि समय-समय पर शरीर में ऑक्सीजन लेवल चेक करके इससे बचा जा सकता है.
फेफड़ों के खून की नसों में थक्के जम जाने से ऑक्सीजन सेचुरेशन हो जाता है कम
आइजीआइएमएस के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ मनीष मंडल ने कहा कि हाइपोक्सिया से फेफड़ों में खून की नसों में थक्के जम जाते हैं. जिससे फेफड़े को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है और ब्लड में ऑक्सीजन सेचुरेशन की मात्रा कम हो जाती है. इससे दिल, दिमाग, किडनी जैसे अंग काम करना बंद कर देते हैं.
हैप्पी हाइपोक्सिया के लक्षण
- होठों का रंग बदलता है और होठ लाल से नीले पड़ने लगते हैं.
- त्वचा का रंग भी लाल या पर्पल दिखने लगता है.
- ऑक्सीजन का लेवल कम होने पर सांस लेने में परेशानी होती है.
- ऑक्सीजन की कमी से दिमाग की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होने लगती हैं. दिमाग भी चिड़चिड़ा होने लगता है.