हजारीबाग में मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना के हैं 44 स्वीकृत लाभुक
विधायक के मीडिया प्रतिनिधि ने सिविल सर्जन से की मुलाकात, स्वास्थ्य मंत्री को ट्वीट कर लगाई गुहार, संज्ञान ले सरकार
Hazaribagh : अब फंड के अभाव में हजारीबाग जिले में गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है. पिछले करीब चार महीने से फंड का अभाव होने से कुल 44 स्वीकृत लाभुकों का भुगतान लंबित है. भुगतान लंबित होने के कारण झारखंड के बाहर के सूचीबद्ध अस्पतालों में किड़नी, कैंसर जैसी कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है. ऐसे मरीज तिल-तिल कर मरने को मजबूर हैं. हजारीबाग सदर विधानसभा क्षेत्र के एक ऐसे ही जरूरतमंद मरीज जिनका इस योजना से एक माह पूर्व स्वीकृति पत्र मिलने के बाद कोलकाता के सूचीबद्ध अस्पताल में इलाज नहीं हो पाया. सूचना पर हजारीबाग सदर विधायक मनीष जायसवाल के मीडिया प्रतिनिधि रंजन चौधरी ने इसे गंभीरता से लिया और तत्काल हजारीबाग सिविल सर्जन डॉ. सरयू प्रसाद सिंह से मुलाकात की. उन्होंने महीनों से भुगतान लंबित होने का कारण जाना. तब यह बात सामने आयी कि फंड में राशि उपलब्ध नहीं होने से यह स्थिति हुई है. विधायक मीडिया प्रतिनिधि को सिविल सर्जन डॉ. सरयू प्रसाद सिंह ने बताया कि आवंटन के लिए पत्राचार किया गया है. जैसे ही आवंटन आएगा, स्वीकृत लाभुकों के नाम से संबंधित अस्पताल को राशि भेज दी जाएगी. रंजन चौधरी ने इस मामले को लेकर सूबे के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को ट्वीट कर जानकारी देते हुए तत्काल संज्ञान लेने की गुहार लगाई है.
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लोगों को गुमराह कर रही सरकार : रंजन चौधरी
विधायक मीडिया प्रतिनिधि रंजन चौधरी ने कहा कि सरकार ने इस महती योजना को लेकर लोगों को गुमराह करने का काम किया है. इस योजना की सहायता राशि में वृद्धि और कई असाध्य रोगों को सूचीबद्ध तो किया है, लेकिन फंड के अभाव में योजना के तहत स्वीकृत मरीजों को ससमय लाभ नहीं मिल रहा है. वहीं बताया जा रहा है कि अब पांच लाख से कम राशि के लाभुकों का इलाज आयुष्मान भारत योजना से होगा. लेकिन देश के कई नामचीन अस्पताल आयुष्मान से इलाज करने से मना करते हैं. ऐसे में इस महती योजना का संपूर्ण लाभ जरूरतमंदों को नहीं मिल सकेगा. विधायक मीडिया प्रतिनिधि ने पूर्व की भांति पांच लाख रुपए तक का भी भुगतान जरूरतमंद मरीजों के हित में मुख्यमंत्री गंभीर रोग उपचार योजना से ही करने की मांग झारखंड सरकार और स्वास्थ्य विभाग से की है.
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