Hazaribagh: सदर अस्पताल हजारीबाग या शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों के नाम पर हर रोज 150-200 लीटर डीजल जलाया जाता है. बावजूद इसके अस्पताल का रीढ़ माना जाने वाला ट्रामा सेंटर के इमरजेंसी वार्ड में मोबाइल टॉर्च की लाइट से इलाज होता है. यह अव्यवस्था गुरुवार की देर शाम को देखने को मिला, जब कटकमसांडी प्रखंड के आराभुसाई पंचायत के महुंगाई गांव के सागर कुमार यादव इलाज कराने आये. दरअसल सागर वज्रपात की चपेट में आ गए थे. उनके परिजन उन्हें सदर अस्पताल लेकर आए.
परिजनों ने इसकी सूचना हजारीबाग सदर विधायक मनीष जायसवाल को दी. विधायक ने त्वरित संज्ञान लेते हुए अपने मीडिया प्रतिनिधि रंजन चौधरी को मरीज के बेहतर इलाज में सहयोग के लिए अस्पताल भेजा. लेकिन यहां ट्रामा सेंटर के इमरजेंसी वार्ड में मरीज के पहुंचने पर अंधेरा छाया था. मरीज को चिकित्सक ने तत्काल इसीजी कराने की सलाह दी. उसके बाद मरीज के परिजनों ने मोबाइल टॉर्च की लाइट जलाई, तब जाकर स्वास्थ्य कर्मियों ने मरीज का इसीजी और इलाज किया. यहां कई अन्य मरीज भी उपस्थित थे. उनका इलाज भी मोबाइल टॉर्च की रोशनी के सहारे ही हुआ.
रंजन चौधरी कहते हैं कि मरीजों का इलाज मोबाइल टॉर्च लाइट के जरिए किया जाना, उनकी जिंदगी से खिलवाड़ किया जाना जैसा है. जिंदगी पाने की ललक में इमरजेंसी वार्ड में मरीज पहुंचते हैं और अस्पताल प्रबंधन उनके साथ खिलवाड़ करता है. विधायक मनीष जायसवाल ने इससे पूर्व भी इस मामले को उठाया था. खुद अस्पताल पहुंचकर एचएमसीएच के सुपरिटेंडेंट से विशेष वार्ता की थी. इसमें उन्हें आश्वस्त किया गया था कि प्रसूति वार्ड, लेबर रूम और ट्रामा सेंटर जैसे संवेदनशील जगह पर रोशनी की विशेष सुविधा के लिए यूपीएस भी लगाया जाएगा. यूपीएस तो लगाया गया, लेकिन डॉक्टर के चेंबर पर और यहां इमरजेंसी वार्ड में अब भी बिजली कटौती के कारण समय-समय पर अंधेरा कायम रहता है. मरीजों का ट्रीटमेंट मोबाइल टॉर्च लाइट की रोशनी में ही किया जाता है.
व्यवस्था पर उठ रहे सवाल
ऐसे में व्यवस्था पर सवाल उठना लाजिमी है. जबकि मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में दो बड़े ऑटोमेटिक डीजी जेनरेटर 167 केबीए और 30 केएम के लगे हुए हैं. करीब 50 लाख रुपए की लागत से यहां सोलर प्लांट लगाया गया है. प्रतिदिन मरीज के बेहतर इलाज और रोशनी उपलब्ध कराने के लिए 150- 200 लीटर डीजल की खपत होती है. इतना ही नहीं कई जगहों पर इनवर्टर की सुविधाएं दी गई हैं. बावजूद इसके अस्पताल के अति संवेदनशील और महत्वपूर्ण स्थल ट्रामा सेंटर के इमरजेंसी वार्ड जहां जीने मरने की स्थिति में ही मरीज पहुंचते हैं, वहीं रोशनी नहीं रहती है. जबकि सदर अस्पताल या शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सरकारी बिजली मिस्त्री के अलावा आउटसोर्सिंग के भी बिजली मिस्त्री 24 घंटे सेवा में रहते हैं. इसके बावजूद लगातार अंधेरे में डूबे रहने से ट्रामा सेंटर के इमरजेंसी वार्ड में पहुंचने वाले मरीजों और उनके परिजनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इससे सवाल उठता है कि क्या अस्पताल प्रशासन मरीजों के इलाज के प्रति गंभीर और संवदेनशील नहीं है.
वहीं वज्रपात से प्रभावित जरूरतमंद मरीज सागर का इलाज कराने पहुंचे सदर विधायक मीडिया प्रतिनिधि रंजन ने इस मामले को लेकर गुरुवार की रात्रि को ही सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और हजारीबाग डीसी नैंसी सहाय को ट्वीट पर इसकी शिकायत करते हुए तत्काल संज्ञान लेते हुए जनहित में व्यवस्था सुधार कराने की मांग की. इस पर संज्ञान लेते हुए डीसी नैंसी सहाय ने ट्वीट कर बताया कि मामले को संज्ञान में लिया गया है. जल्द ही दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. दूसरी ओर विधायक मनीष जायसवाल ने अस्पताल प्रबंधन को यथाशीघ्र जनहित में व्यवस्था में सुधार करने का अल्टीमेटल देते हुए कहा कि जनता का गुस्सा अगर फूटा तो व्यापक आंदोलन होगा.
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इस मामले पर सदर अस्पताल और शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के प्रबंधक मो. शहनवाज ने कहा कि पांच साल पहले लगाया गया 63 केबी की सोलर लाइट काम नहीं कर रही है. जेरेडा ने मेंटनेंस की बात कही थी. सारा कुछ आउटसोर्सिंग के माध्यम से किया गया था, जिसके इकरारानामे की अवधि खत्म हो चुकी है. इसके लिए नए सिरे से टेंडर निकाला जाएगा. हालांकि जेनरेटर होने की बात पर उन्होंने मामले को डिप्टी सुपरिंटेंडेंट से बात करने की बात कह टाल दिया. डिप्टी सुपरिंटेंडेंट एके सिंह ने कहा कि जेनरेटर स्टार्ट करने में जितना वक्त लगा, उतनी ही देर ट्रामा सेंटर में अंधेरा था. यह मामला पांच से दस मिनट का था. अस्पताल में रोशनी की पर्याप्त सुविधा है.
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