Ranchi : भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने हेमंत सरकार की अबुआ आवास योजना को लेकर कहा कि यह योजना गरीबों के लिए छत का सपना नहीं बल्कि निराशा का प्रतीक बन गई है. सरकार ने 2026 तक 8 लाख पक्के मकान देने का वादा किया था और इसके लिए 16 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का बजट तय किया था.
लेकिन आज की हकीकत यह है कि पूरे राज्य में अब तक लक्ष्य की मुश्किल से 15 प्रतिशत प्राप्ति हो पाई है. राज्य सरकार ने जो लक्ष्य निर्धारित किया था उसके अनुसार में 2023-24 में 2 लाख मकान, 2024-25 में 3.5 लाख मकान, 2025-26 में 2.5 लाख मकान बनाने का लक्ष्य था.
लक्ष्य से काफी पीछे चल रही है योजना
प्रतुल ने उदाहरण देते हुए बताया कि ये योजना अपने लक्ष्य से बहुत पीछे चल रही है और भ्रष्टाचार का भी शिकार हो गई है. रांची (खलारी प्रखंड): 1033 मकानों का लक्ष्य, पूरे हुए सिर्फ 337।गढ़वा (भंडरिया प्रखंड): 850 मकानों का लक्ष्य, तैयार हुए महज 210. दुमका (रामगढ़ प्रखंड): 720 का लक्ष्य, पूरे हुए केवल 150. पाकुड़ जिला: 950 मकानों का वादा, पूरे नहीं हुए 200 भी. चतरा व लातेहार में तो स्थिति और भी बदतर है.
“कागज पर तिलिस्म, जमीन पर ढहता सपना”
हेमंत सरकार ने फाइलों में तो 6.5 लाख मकानों की स्वीकृति दिखा दी, लेकिन जमीन पर स्थिति यह है कि गरीबों के घर आधे-अधूरे खड़े हैं. फंड की समय पर उपलब्धता नहीं होने, भुगतान में देरी और कामकाज की सुस्ती के कारण लोग बरसात में बिना छत के जीने को मजबूर हैं. यह सरकार केवल विज्ञापन और घोषणाओं तक सीमित है. गरीबों के नाम पर बजट तो दिखाया जाता है, पर जमीन पर कुछ नहीं उतरता.
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