LagatarDesk : अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने 25 जनवरी को अडानी ग्रुप को लेकर घातक रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट की वजह से ना भी गौतम अडानी को बल्कि निवेशकों को भी काफी नुकसान झेलना पड़ा था. गौतम अडानी और अडानी ग्रुप पर निशाना साधने के बाद अब हिंडनबर्ग ने ‘एक और बड़ा’ खुलासा करने वाली है. हिंडनबर्ग रिसर्च ने 23 मार्च को ट्वीट कर अपनी नयी रिपोर्ट जारी करने को लेकर संकेत दिये हैं. कंपनी ने अपने ट्वीट में लिखा कि जल्द एक और बड़ी और नयी रिपोर्ट…. हालांकि रिसर्च फर्म ने अपनी अपकमिंग रिपोर्ट की डिटेल शेयर नहीं की. ट्वीट के बाद सवाल खड़े होने लगे हैं कि हिंडनबर्ग अब किसको लेकर बड़ा खुलासा करने वाला है. (पढ़ें, गुतारेस ने चेताया, ग्लोबल वार्मिंग से भविष्य में सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र नदियों का जल प्रवाह कम सकता है)
New report soon—another big one.
— Hindenburg Research (@HindenburgRes) March 22, 2023
हिंडनबर्ग रिपोर्ट के कारण अडानी ग्रुप को 120 अरब डॉलर से ज्यादा का नुकसान
हिंडनबर्ग रिपोर्ट जारी होने के बाद भारतीय शेयर बाजार सहित दुनियाभर के बाजार क्रैश हो गये थे. इससे अडानी ग्रुप को 120 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ था. इतना ही नहीं गौतम अडानी की संपत्ति भी 150 अरब डॉलर से घटकर 53 अरब डॉलर तक घट गयी थी. फोर्ब्स बिलिनेयर्स की लिस्ट में गौतम अडानी टॉप 3 से गिरकर टॉप 40 में पहुंच गये थे. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की वजह से लोकसभा और राज्यसभा में भी हंगामा मचा हुआ है. विपक्ष संसद में अडानी मामले की जेपीसी मांग कर रहे हैं. साथ ही केंद्र की मोदी सरकार से हिंडनबर्ग-अडानी विवाद को लेकर सवाल का जवाब मांग रहे हैं. विपक्ष ने यह भी दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन सवालों के जवाब देने से इनकार कर दिया.
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हिंडनबर्ग ने रिपोर्ट जारी कर अडानी ग्रुप पर लगाया आरोप
बता दें अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने 25 जनवरी को 30000 से अधिक शब्दों की एक रिपोर्ट जारी की थी. जिसमें 80 से अधिक सवालों के जवाब अडाणी ग्रुप से मांगे गये थे. रिपोर्ट में अडानी ग्रुप की कंपनियों की शेयर वैल्यू कंपनियों को वास्तविक वैल्यू से 85 प्रतिशत तक अधिक बताया गया. इसके लिए अलग-अलग तरह के नाजायज तरीकों को अपनाया गया. इतना ही नहीं ग्रुप की सभी प्रमुख लिस्टेड कंपनियों पर काफी ज्यादा कर्ज भी है. जिसपर अडानी ग्रुप ने अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग को 413 पन्नों का जवाब भेजा था. अडानी ग्रुप ने कहा था कि वह 24 जनवरी को ‘मैडऑफ्स ऑफ मैनहट्टन’ हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को पढ़कर हैरान और काफी परेशान है. इस रिपोर्ट झूठ के अलावा और कुछ नहीं है. ग्रुप ने हिंडनबर्ग के सभी आरोपों को निराधार बताया है. अडानी ग्रुप ने कहा कि यह केवल किसी विशिष्ट कंपनी पर एक अनुचित हमला नहीं है, बल्कि भारत, भारतीय संस्थानों की स्वतंत्रता, अखंडता और गुणवत्ता और भारत की विकास की कहानी और महत्वाकांक्षा पर एक सुनियोजित हमला है. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट चुनिंदा मिस-इन्फॉर्मेशन का एक दुर्भावनापूर्ण संयोजन है. ग्रुप को बदनाम करने और खुद को लाभ पहुंचाने के लिए यह रिपोर्ट तैयार की गयी है.
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जवाब का हिंडनबर्ग ने किया था खंडन, कहा-धोखाधड़ी को राष्ट्रवाद से छिपाया नहीं जा सकता
दूसरी तरफ अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप के 413 पन्नों के जवाब का खंडन किया था. रिसर्च फर्म ने कहा था कि धोखाधड़ी को राष्ट्रवाद से छिपाया नहीं जा सकता है. लिखा था कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र है. यह सबसे मजबूत और न्यायसंगत लोकतंत्र के रूप में उभर रहा है. लेकिन अडानी समूह भारत को उभरने और आगे बढ़ने से रोक रही है. देश की आड़ में अडानी ग्रुप भारत को ही लूटने का काम कर रही है. हिंडनबर्ग ने आगे लिखा कि धोखाधड़ी तो धोखाधड़ी ही होता है. चाहे वह दुनिया का सबसे धनी व्यक्ति ही क्यों ना करे. हिंडनबर्ग ने आगे लिखा कि अडानी के 413 पन्नों के जवाब में केवल 30 पेज ही रिपोर्ट से संबंधित मुद्दों पर केंद्रित हैं. बाकी बचे 383 पेज में से 330 पेज कोर्ट के रिकॉर्ड्स हैं. वहीं 53 पेज में हाई लेवल फाइनेंशियल और सामान्य जानकारी दी गयी है. इसके अलावा रिपोर्ट में महिलाओं को व्यापार में आगे बढ़ाने और सब्जियों के उत्पादन के बारे में जानकारी दी गयी है.
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