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ब्रिटिश अखबार ने लेख छापा, कैसे भारत के कोरोना संकट ने नरेंद्र मोदी को छोटा बना दिया

NewDelhi :  कैसे भारत के कोरोना संकट ने नरेंद्र मोदी को छोटा बना दिया. यह हेडिंग ब्रिटेन के अखबार फाइनेंशियल टाइम्स की है. भारत में कोरोनावायरस महामारी की दूसरी लहर में विपक्ष तो लगातार केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमलावर है ही, विदेशी मीडिया संस्थान भी भारत के कोरोना संकट के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. बता दें कि ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स ने कोरोना से निपटने की मोदी सरकार की तैयारियों की आलोचना करते हुए  2300 शब्दों का लेख छापा, जिसकी हेडिंग है- कैसे भारत के कोरोना संकट ने नरेंद्र मोदी को छोटा बना दिया.

ममता बनर्जी की जीत से क्षेत्रीय पार्टियों का आत्मविश्वास बढ़ा

फाइनेंशियल टाइम्स के लेख के अनुसार कई भारतीयों को अब लगने लगा है कि उनके नेता ने दूसरी लहर के संकेतों को नजरअंदाज कर दिया और बढ़ते संकट के बीच उन्हें बीच में ही छोड़ दिया. भारत के भविष्य को लेकर फाइनेंशियल टाइम्स ने लिखा,  क्षेत्रीय पार्टियों का आत्मविश्वास पश्चिम बंगाल की सत्तासीन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की जीत के बाद से और बढ़ा है,  जिन्होंने हाल ही में राज्य में हुए चुनाव में भाजपा की चुनावी मशीनरी का पूरी ताकत से सामना किया.

 

यह आम आदमी का काम नहीं है कि वह दवा ढूंढे

बता दें कि फाइनेंशियल टाइम्स ने भारत में कोरोना संकट के बीच परेशानी से जूझने वाले लोगों से हुई बातचीत भी प्रकाशित की है. लेख में हाल ही में अपने पिता को गंवाने वाली एक महिला- अनार्या का वर्जन भी छपा है. अनार्या ने अखबार को बताया कि यह आम आदमी का काम नहीं है कि वह दवा ढूंढे, ऑक्सीजन ढूंढे, अस्पताल-अस्पताल जाकर आईसीयू बेड्स ढूंढने का काम करे. यह नहीं होना चाहिए था. हमारा काम टैक्स भरना है. यह सरकार का काम है कि वह हमें आधारभूत सुविधाएं मुहैया कराये. यह आपराधिक लापरवाही है.

फाइनेंशियल टाइम्स ने लेख में कई भारतीयों से की गयी बातचीत को छापा है. लेख के अनुसार   यह सिर्फ कुछ लोगों का ही विचार नहीं है, बल्कि शहरी भारत में एक नागरिक कोरोना से जूझ रहे अपने करीबियों के लिए मेडिकल सेवा हासिल करने में जूझ रहा है. इसके अलावा कोरोना की खतरनाक लहर के बीच वैक्सीन की कमी ने उनकी समस्या को बढ़ा दिया है.

 

यह गुस्सा मजबूत नेता के कवच में पहली दरार के तौर पर उभरा है

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह गुस्सा एक ऐसे मजबूत नेता के कवच में पहली दरार के तौर पर उभरा है, जो कि कुछ हफ्तों पहले तक राजनीतिक तौर पर अपराजेय दिख रहे थे. नरेंद्र मोदी, जो कि दशकों बाद भारत के सबसे ताकतवर और सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री हुए. अखबार ने लिखा, मोदी अब एक छोटी शख्सियत दिख रहे हैं, जो कि आजादी के बाद से लेकर अब तक के सबसे बड़ी आपदा के दौरान देश का नेतृत्व कर रहे हैं. उनके नौकरी पैदा करने वाले आर्थिक विकास के वादे, प्रशासनिक क्षमता बढ़ाने और विश्व में भारत के कद को बढ़ाने के वादे अभी भी अधूरे ही हैं.

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