NewDelhi : मैं 23 सालों से जज हूं. मैं भारतीय न्यायपालिका में सबसे लंबे वक्त से जज हूं. जज के तौर पर मेरे 23 सालों के करियर में मुझसे किसी ने भी नहीं कहा कि किसी केस में फैसला कैसे करना है. हम कभी भी अपने सहयोगी जज से भी नहीं पूछते कि वह जिन केस की सुनवाई कर रहे हैं उसमें क्या हो रहा है.
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CJI डीवाई चंद्रचूड़ इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बोल रहे थे
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ( CJI) डीवाई चंद्रचूड़ आज शनिवार को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बोल रहे थे. CJI ने यहां कलीजियम सिस्टम, सोशल मीडिया पर जजों की ट्रोलिंग, कोर्ट की लंबी छुट्टियों और न्यायपालिका की स्वतंत्रता सहित अन्य सवालों के जवाब दिये. उनसे पूछा गया कि क्या कुछ केस में फैसले देते वक्त सरकार का दबाव होता है? जजों की नियुक्ति में पारदर्शिता कैसे रखते हैं? हायर जुडिशरी में वकेशन क्यों? डीवाई चंद्रचूड़ ने इन सबके जवाब दिये.
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भारतीय न्यायपालिका कितनी स्वतंत्र है?
उनसे पूछा गया कि क्या जजों पर फैसला देते वक्त सरकार की तरफ से किसी तरह का दबाव होता है तो उन्होंने कहा- दबाव का सवाल ही नहीं होता. कॉन्क्लेव में सीजेआई चन्द्रचूड़ से पूछा गया कि सीजेआई के तौर पर आप क्या सोचते हैं कि भारतीय न्यायपालिका कितनी स्वतंत्र है? क्या फैसले देते वक्त आप दबाव महसूस करते हैं? इस पर सीजेआई ने कहा, फैसला देते वक्त तमाम तरह के दबाव होते हैं. इसी क्रम में कहा कि मैं 23 सालों से जज हूं. मुझसे किसी ने भी नहीं कहा कि किसी केस में फैसला कैसे करना है.
हमने अपने लिए स्पष्ट रेखा खींच रखी है, ये हमारी ट्रेनिंग का हिस्सा है
हम कभी अपने सहयोगी जज से भी नहीं पूछते कि वह जिन केस की सुनवाई कर रहे हैं उसमें क्या हो रहा है. हम साथ में कॉफी पीते हैं, लंच करते हैं लेकिन हमने अपने लिए स्पष्ट रेखा खींच रखी है. ये हमारी ट्रेनिंग का हिस्सा है. अगर दबाव की बात है, किसी बाहरी दबाव, सरकार के दबाव की बात है तो यह बिल्कुल नहीं है.लेकिन हमारे दिमाग पर दबाव होता है. मन पर दबाव होता है. सही समाधान ढूंढने का दबाव होता है.
हमें पता है कि हम जो फैसला करते हैं उसका सिर्फ आज नहीं, कल भी असर होता है इसलिए सही समाधान का दबाव होता है. हमारे संविधान में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सेपेरशन ऑफ पावर स्पष्ट है. सबका अपना अधिकार क्षेत्र है.






