Ranchi : भारत सरकार के उपक्रम एचईसी की बदहाली पर संज्ञान नहीं लिया गया तो राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलकर इसे बचाने की गुहार लगायेंगे. उक्त बातें राजभवन में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात के बाद इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (आई.एन.डी.आई.ए) गठबंधन के प्रतिनिधिमंडल ने मीडिया के समक्ष कही. पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कहा कि त्योहार का सीजन आने वाला है और एचईसी के कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा है. केंद्र और सरकार के लिए एचईसी एक बड़ी धरोहर है. इसको बचाना जरूरी है. यह कलाम साहब और डॉ मनमोहन सिंह की धरोहर है. लेकिन नरेंद्र मोदी के शासनकाल में ये घाटे में है. एचईसी के पास वर्किंग कैपिटल नहीं है, ना ही रॉ मैटेरियल है. इसरो पर जब राज्यसभा में चर्चा हो रही थी उस वक्त भी एचईसी की बदहाली पर सवाल उठाया गया था. (पढ़ें, झारखंड : पैसे लेकर बच्चों का पोर्नोग्राफी वीडियो भेजने का आरोपी को सीआईडी ने केरल से किया गिरफ्तार)
करोड़ों की लागत से प्रतिमाएं बन रही और इधर एचईसी बदहाल : डॉ महुआ माजी
राज्यसभा सांसद डॉ महुआ माजी ने कहा कि राज्यसभा में एचईसी के मुद्दे को उठाया था. चंद्रयान-1, 2 और 3 की लांचिंग पैड व अन्य उपकरण एचईसी ने बनाया है. एशिया की सबसे बड़ी इंडस्ट्री आज बदहाल स्थिति में है. देश में करोड़ों रुपये की लागत से प्रतिमाएं बन रही हैं. दूसरी तरफ एचईसी बदहाल है. महुआ माजी ने आप प्रतिमा जरूर बनाये, लेकिन केंद्र सरकार को एचईसी को लेकर भी सकारात्मक पहल करने की जरूरत है.
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एचईसी के मुद्दे पर गंभीरता पूर्वक विचार करें राज्यपाल
डॉ महुआ ने कहा कि राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से मिलकर आग्रह किया कि इस विषय पर आप गंभीरता पूर्वक विचार करें. 2045 तक भारत को विकसित देश में लाना है तो एचईसी का भी होना बहुत जरूरी है. वहीं सुबोधकांत ने कहा कि राज्यपाल ने आश्वस्त किया है कि जल्द ही एचईसी का दौरा करेंगे.
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