Ranchi : जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने सारंडा वन क्षेत्र के मामले में झारखंड सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. प्रेस क्लब, रांची में मंगलवार को प्रेसवार्ता में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश की जानकारी दी. कहा कि यदि सरकार 8 अक्टूबर तक सारंडा क्षेत्र को सेंक्चुअरी घोषित नहीं करती, तो राज्य के मुख्य सचिव को जेल जाना पड़ सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में 17 सितंबर को कड़ा आदेश जारी किया है.
राय ने बताया कि सरकार ने पहले 29 अप्रैल को कोर्ट में उपस्थित होकर 57,519.41 हेक्टेयर क्षेत्र को अभ्यारण्य व 13,603.80 हेक्टेयर क्षेत्र को संरक्षित रिजर्व घोषित करने का वादा किया था, लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है. उन्होंने यह भी कहा कि बिहार सरकार ने 6 फरवरी 1969 को सारंडा के 314.68 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को गेम सेंक्चुअरी घोषित किया था, जिसका उल्लेख 1976 के वर्किंग प्लान में मिलता है. इस संबंध में उन्होंने झारखंड विधानसभा में 2 मार्च 2021 को प्रश्न भी उठाया था, लेकिन सरकार ने अधिसूचना की उपलब्धता से इनकार कर दिया था.
उन्होंने कहा कि मंगलवार को सरकार की मंत्रिमंडलीय उपसमिति सारंडा क्षेत्र का दौरा कर रही है, जो सरकार को अपनी सिफारिश देगी. इसके आधार पर ही सरकार 8 अक्टूबर को कोर्ट में जवाब दाखिल करेगी. सारंडा क्षेत्र में खनन का इतिहास 1909 से शुरू हुआ, जब बोनाई आयरन कंपनी को घाटकुरी क्षेत्र में पहली लीज दी गई थी. स्वतंत्रता पूर्व 11,886 एकड़ और स्वतंत्रता के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की 12 कंपनियों को 6,633.30 हेक्टेयर व निजी क्षेत्र की 30 कंपनियों को 3,132.18 हेक्टेयर में खनन लीज दी गई. इसके अतिरिक्त प्रोस्पेक्टिंग लीज भी बड़े पैमाने पर वितरित की गई.
2006 के बाद मधु कोड़ा की सरकार में खनन लीज के लिए भारी संख्या में आवेदन आए, जिनका कुल क्षेत्रफल 65,679.40 हेक्टेयर था. जबकि सारंडा का कुल क्षेत्रफल करीब 85,712 हेक्टेयर है. राय के अनुसार, ऐसा प्रतीत हुआ कि कंपनियां पूरे सारंडा को ही खनन क्षेत्र में तब्दील करना चाहती थीं और सरकार भी उनके साथ थी.
इसी के विरोध में राय ने 2012 में झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. उन्होंने न्यायालय को यह भी बताया कि जहां एक ओर राज्य के वन विभाग ने 63,199.89 हेक्टेयर क्षेत्र को नो-माइनिंग जोन घोषित करने की सिफारिश की, वहीं दूसरी ओर उसी क्षेत्र में खनन विभाग ने लीज आवेदनों को स्वीकार किया.
अवैध खनन की जांच के लिए केंद्र सरकार ने 2010 में एमबी शाह आयोग का गठन किया था, जिसने खनन पर रोक और सारंडा की सुरक्षा की सिफारिश की. इसके बाद डीएन इंटिग्रेटेड वाइल्डलाइफ मैनेजमेंट प्लान तैयार किया गया और फिर 2020 में डॉ आरके सिंह ने एनजीटी में आवेदन देकर सारंडा को अभ्यारण्य घोषित करने की मांग की. एनजीटी ने 12 जुलाई 2022 को आदेश भी दिया, लेकिन राज्य सरकार ने उसे लागू नहीं किया.
सरय़ू राय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसलों में यह स्पष्ट किया गया है कि यदि खनन और पर्यावरण संरक्षण में से किसी एक को चुनना हो, तो प्राथमिकता पर्यावरण संरक्षण को दी जानी चाहिए. राय ने सरकार से आग्रह किया कि सुप्रीम कोर्ट में दिये गये अपने ही वादे के अनुसार तत्काल सारंडा क्षेत्र को वन्यजीव अभ्यारण्य और अतिरिक्त क्षेत्र को संरक्षित रिजर्व घोषित करने की अधिसूचना जारी करें. यह केवल कानून के पालन का सवाल नहीं है, बल्कि एशिया के इस महत्वपूर्ण वन क्षेत्र के संरक्षण का भी विषय है.
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