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सेना मिसाइल लॉन्चर चीन की सीमा तक नहीं ले जायेगी, तो देश की रक्षा कैसे करेगी,  केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखा

NewDelhi : भारतीय सेना अपने मिसाइल लॉन्चर, भारी मशीनरी उत्तरी भारत-चीन सीमा तक नहीं ले जायेगी, तो देश की रक्षा कैसे करेगी, युद्ध कैसे लड़ेगी.   केंद्र सरकार ने चारधाम परियोजना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में  यह कहते हुए अपना पक्ष रखा. बता दें कि  सुप्रीम कोर्ट ने चारधाम परियोजना को मंजूरी देने के लिए केंद्र और एक गैर सरकारी संगठन से अतिरिक्त सुरक्षा उपायों को लेकर सुझाव मांगे हैं. चारधाम राजमार्ग परियोजना के निर्माण के कारण हिमालयी क्षेत्रों में भूस्खलन की चिंताओं पर सरकार ने कहा `आपदा कम करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाये गये हैं. इसे भी पढ़ें : पश्चिम">https://lagatar.in/west-bengal-encounter-between-bsf-and-cattle-smugglers-on-coochvihar-border-including-two-bangladeshi-killed/">पश्चिम

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SC ने रक्षा मंत्रालय की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया

भूस्खलन हो या बर्फबारी, सेना को चीन की सीमा तक पहाड़ी दर्रों से पहुंचने के लिए बड़े स्तर पर काम करना है. जान लें कि न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की खंडपीठ ने सड़क चौड़ीकरण के खिलाफ एनजीओ `सिटीजन फॉर ग्रीन दून की याचिका पर अपने आदेश को संशोधित करने के लिए रक्षा मंत्रालय की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया. आदेश दिया कि क्षेत्र में भूस्खलन कम करने के लिए उठाये गये कदमों और उठाये जाने वाले कदमों के बारे में लिखित जानकारी दें. सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा ये दुर्गम इलाके हैं, इन जगहों पर सेना को भारी वाहन, मशीनरी, हथियार, मिसाइल, टैंक, सैनिक और खाद्य आपूर्ति भेजनी होती है. उन्होंने कहा कि हमारी ब्रह्मोस मिसाइल 42 फीट लंबी है, इसके लॉन्चर ले जाने के लिए बड़े वाहनों की जरूरत है. अगर सेना अपने मिसाइल लॉन्चर और मशीनरी को उत्तरी चीन की सीमा तक नहीं ले जा पायेगी तो युद्ध कैसे लड़ेगी. इसे भी पढ़ें : ">https://lagatar.in/news-from-china-clear-the-way-for-xi-jinpings-third-term-sealed-in-high-level-meeting-of-cpc/">

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सड़कों को आपदा रोधी बनाने की जरूरत है

सुनवाई के क्रम में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि भूस्खलन देश में कहीं भी हो सकता है.  इस तरह की आपदा से निपटने के लिए  जरूरी कदम उठाये गये हैं. कहा कि सड़कों को आपदा रोधी बनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा,  सेना के पास अगर हथियार नहीं होंगे, ऐसे में भगवान न करे युद्ध छिड़ जाये तो हमारी सेना इसका सामना कैसे करेगी, हम कैसे लड़ेंगे. हमें बेहद सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है. रक्षा मंत्री ने भी कहा था कि सेना को आपदा प्रतिरोधी सड़कों की जरूरत है. वेणुगोपाल ने कहा, भारतीय सड़क कांग्रेस (आईआरसी) ने बर्फीले इलाकों में 1.5 मीटर अतिरिक्त चौड़ाई की सिफारिश की है, ताकि दुर्गम जगहों पर भी भारी वाहन चल सकें. इस क्रम में कहा कि चारधाम परियोजना की निगरानी कर रही उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) अलग तरह के पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करती है, लेकिन जो उसे करना चाहिए वह नहीं कर रही, वह सेना की स्थितियों पर विचार नहीं कर रही. लेकिन एनजीओ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने सड़क चौड़ीकरण परियोजना को रोके जाने की बात कही. कहा कि यह सैनिकों और लोगों के जीवन को खतरे में डालेगा. बता दें कि 12,000 करोड़ रुपये की 900 किलोमीटर लंबी चारधाम परियोजना का उद्देश्य यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करना है. [wpse_comments_template]

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