Ranchi: राज्य के पूर्व सीएम चंपाई सोरेन ने एक बार फिर राज्य सरकार के खिलाफ मोरचा खोला है. सूर्या हांसदा के एनकाउंटर पर सवाल खड़े किए हैं. कहा है कि चार बार चुनाव लड़ चुके सूर्या हांसदा की पत्नी ने देवघर में गिरफ्तारी के तुरंत बाद जिस बात की आशंका जताई थी, गोड्डा पहुंचते- पहुंचते वह सच हो गई.
पिछले कुछ समय से संथाल परगना में, कुछ खास लोगों के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को कुचलने की कोशिशें हो रही हैं. गोड्डा में सूर्या हांसदा के तथाकथित एनकाउंटर के बाद उनके परिवार के बयानों से कहीं ना कहीं यह संदेश निकल कर आ रहा है कि अगर आप इस सरकार में आदिवासियों के पक्ष में एवं खनन माफिया के खिलाफ आवाज उठाएंगे, तो सरकारी तंत्र की मदद से आपको खामोश कर दिया जायेगा.
पुलिस बताए कि एक बीमार व्यक्ति कैसे और कितनी गोलियां चलाईं
जब पुलिस किसी अभियुक्त को गिरफ्तार करती है, तो उसकी सुरक्षा भी उनकी जिम्मेदारी होती है. क्या पुलिस यह बताएगी कि हथकड़ी लगे एक बीमार व्यक्ति ने पुलिस पर कैसे और कितनी गोलियां चलाईं? वे गोलियां किसे लगीं? देवघर से गोड्डा आने के क्रम में जिस व्यक्ति ने भागने की कोशिश नहीं की, वह गोड्डा आते ही हमलावर कैसे हो गया?
पुलिस की गोलियां आरोपी के पैरों की जगह सीने पर क्यों लगी?
आधी रात को उसे जंगल में ले जाने की जगह सुबह का इंतजार क्यों नहीं किया गया? पुलिस की गोलियां आरोपी के पैरों की जगह सीने पर क्यों लगी? अगर किसी गिरोह ने पुलिस पर हमला किया था, जैसा कि पुलिस कह रही है, तो उनमें से किसी को भी गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा सका? उस गिरोह को कैसे पता चला कि पुलिस स्व. सूर्या हांसदा को लेकर वहां आने वाली है?
उनमें से कोई घायल क्यों नहीं हुआ? कोई बच्चा भी इस कहानी पर विश्वास करेगा क्या? किसी भी मामले के आरोपी को न्याय देने के लिए अदालतें हैं, लेकिन जब पुलिस ही साजिश में शामिल दिखने लगे, तो न्याय की मूल अवधारणा ही दम तोड़ती नजर आती है.
मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए
दूसरी तरफ, हमने बोकारो में देखा कि अगर अपराधी एक विशेष समुदाय से हो, तो सरकार के मंत्री ना सिर्फ मुख्यमंत्री एवं बड़े नेताओं से अपराधी के परिवार को मदद दिलवाते हैं, बल्कि उनके आश्रितों के लिए नौकरी का भी इंतजाम करते हैं.
आदिवासियों पर अत्याचार करने वालों को प्रोत्साहन एवं उनकी आवाज उठाने वालों को खामोश करने की यह प्रवृत्ति खतरनाक है. लेकिन अफसोस, झारखंड में राजनैतिक कारणों से यह अब सामान्य होती जा रही है. इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए, तभी सच सामने आयेगा और पीड़ित परिवार को न्याय मिल पायेगा.
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