- अब तक चुप ही रही केंद्र सरकार, सुप्रीम कोर्ट ने बांग्लादेश में बने एंटी वायरल इंजेक्शन रेमडेसिविर के आयात पर पूछा सवाल?
- हेमंत सरकार की मांग की जगह अमेरिका व मिस्र की दवा कंपनी को केंद्र ने दिया है रेमडेसिविर की 4.5 लाख डोज का आर्डर
Ranchi: भारत में कोरोना विकराल रूप धारण कर चुका है. अब हर दिन 3.5 लाख से ज्यादा कोरोना मामले सामने आ रहे हैं. वहीं एंटी वायरल इंजेक्शन रेमडेसिविर की भी लगातार कमी पड़ रही है. इस बीच बांग्लादेश से रेमडेसिविर के आयात को लेकर शुक्रवार को मोदी सरकार से सवाल पूछा है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि बांग्लादेश में रेमडेसिविर का एक जेनरिक इंजेक्शन बनाया गया है. क्या वर्तमान कानून के तहत उसका आयात हो सकता है? यह जानकार आश्चर्य होगा कि सुप्रीम कोर्ट के पूछे सवाल के 12 दिन पहले ही (18 अप्रैल) मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बांग्लादेश से रेमडेसिविर के आयात पर केंद्र से अनुमति मांगी थी. लेकिन ताज्जुब है कि इस विपदा की घड़ी में भी केंद्र ने झारखंड सरकार की मांग को अनदेखा किया. बता दें कि जिस दिन सुप्रीम कोर्ट ने बांग्लादेश से रेमडेसिविर के आयात पर सवाल पूछा है, उसी दिन अमेरिका और मिस्र की दो कंपनियों से रेमडेसिविर की 75,000 शीशियां मंगायी गयी है. इसकी जानकारी खुद रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने दी है.
हेमंत सरकार ने बांग्लादेश की दवा कंपनी से किया था संपर्क, पत्र लिखा मांगी थी अनुमति
18 अप्रैल को ही रेमडेसिविर की कमी के मद्देनजर हेमंत सरकार ने बांग्लादेश से इसे बाहर से मंगाने की इजाजत मांगी थी. इस बाबत उन्होंने केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा को पत्र लिखा था. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी. मुख्यमंत्री ने लिखा था कि झारखंड में गंभीर रोगियों के लिए रिमडेसिविर की बढ़ती मांग को लेकर बांग्लादेश की एक दवा कंपनी से संपर्क किया गया है. हमें आपातकालीन उपयोग के लिए रेमडेसिवर की लगभग 50,000 शीशियों खरीदनी हैं. लेकिन 12 दिन बीतने के बाद भी अभी तक इस पत्र का कोई जवाब नहीं मिला.
कोर्ट ने कहा, बांग्लादेश से रेमडेसिविर का आयात कर भारत पेटेंट नियमों से बच सकता है.
बांग्लादेश से रेमडेसिविर के आयात सहित केंद्र ने मोदी सरकार से यह भी पूछा है कि क्या उसे भारत में बनाने का लाइसेंस लिया जा सकता है. सुप्रीमो कोर्ट के मुताबिक मौजूदा कानूनी व्यवस्था के तहत बांग्लादेश से रेमडेसिविर का आयात कर भारत पेटेंट नियमों से बच सकता है.
अब अमेरिका, मिस्र की कंपनियों को मिला 4.5 लाख का आर्डर, हेमंत सरकार के बेहतर सुझाव को केंद्र कर रही अनदेखा
इस बीच खबर है कि एंटी वायरल इंजेक्शन रेमडेसिविर की कमी को दूर करने के लिए मोदी सरकार अमेरिका, मिस्र, उज्बेकिस्तान, यूएई और बांग्लादेश से भी इसे खरीदने पर विचार कर रही है. इस कड़ी में सरकारी कंपनी HLL लाइफकेयर लिमिटेड ने 4.5 लाख रेमडेसिविर की डोज के लिए अमेरिका की कंपनी मैसर्स गिलिएड साइंसिज इंक और मिस्र की दवा कंपनी मैसर्स इवा फार्मा को आर्डर भी दिया है. जिसमें से 75,000 शीशियों की पहली बीते शुक्रवार को भारत पहुंच जाने की उम्मीद थी. रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने एक बयान में यह जानकारी दी. मंत्रालय ने यह भी कहा कि देश में इस दवा की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने रेमडेसिविर का आयात करना शुरू किया है. लेकिन झाऱखंड सरकार की मांग को अनदेखा कर केंद्र हेमंत सरकार को बेहतर सुझाव को अनदेखा ही कर रहा है.