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सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, देश भर के डिजिटल अरेस्ट ठगी मामलों की जांच CBI के हवाले

 New Delhi : देशभर से सामने आ  रहे डिजिटल अरेस्ट के मामलों में नया अपडेट है. आज सोमवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मामलों की गंभीरता को देखते हुए सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिेगेशन (CBI) को जांच सौंप दी है.

 

CBI देश भर हो रही वारदातों की जांच करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को आदेश दिया है कि वे डिजिटल अरेस्ट मामलों की जांच में CBI को सहयोग करें. सीजेआई सूर्यकांत की बेंच ने सुनवाई के क्रम में माना कि डिजिटल अरेस्ट तेजी से बढ़ने वाला साइबर क्राइम है.  

 

इस अपराध में ठग खुद को पुलिस, कोर्ट या सरकारी अधिकारी बता कर वीडियो/ऑडियो कॉल कर पीड़ितों को ब्लैकमेल कर धमकाते हैं और उनसे पैसे वसूलते हैं. खासकर सीनियर सिटिजन उनके निशाने पर रहते है. इस मामले में बेंच ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को भी नोटिस जारी किया है.

 

RBI से पूछा है कि साइबर ठगी के शिकार  हो रहे बैंक खातों को तुरंत ट्रैक और फ्रीज करने के लिए AI और मशीन लर्निंग तकनीक का उपयोग क्यों नहीं कर रहे हैं. जान लें कि इससे पूर्व  3 नवंबर को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि डिजिटल अरेस्ट मामलों में लगभग 3 हजार करोड़ की ठगी की जानकारी सामने आयी है. कोर्ट ने इसे गंभीर राष्ट्रीय समस्या बताया था.

 

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 27 अक्टूबर को  सुनवाई की थी. कोर्ट ने सभी राज्यों से डिजिटल अरेस्ट से जुड़ी एफआईआर की जानकारी मांगी थी. इस मामले में गृह मंत्रालय और सीबीआई ने सीलबंद रिपोर्ट भी पेश की थी. 17 अक्टूबर SC ने केंद्र सरकार और CBI से जवाब मांगा था  कोर्ट ने इसे गंभीर अपराध माना था. कहा था कि  कोर्ट के नाम, मुहर और आदेशों की नकली कॉपी बनाना न्याय व्यवस्था पर सीधा हमला है.

 

आदेश दिया गया है कि आईटी मध्यस्थ नियम 2021 के अंतर्गत प्राधिकारी CBI को पूर्ण सहयोग प्रदान करेंगे. आदेशानुसार जिन राज्यों ने CBI को सहमति नहीं प्रदान की है, वे अपने अधिकार क्षेत्र में आईटी अधिनियम 2021 के अंतर्गत जांच के लिए सहमति प्रदान करेंगे,  ताकि CBI पूरे भारत में व्यापक जांच कर सके. CBI को जरूरत पड़ने पर इंटरपोल अधिकारियों से सहायता लेने को भी कहा गया है.  SC में दो सप्ताह बाद मामले की सुनवाई होगी.



मामला यह है कि  हरियाणा के अंबाला जिले में एक बुजुर्ग दंपती से 3 से 16 सितंबर के बीच 1.05 करोड़ की ठगी की गयी थी.दंपती को सुप्रीम कोर्ट के जजों के फर्जी हस्ताक्षर और जांच एजेंसियों के नकली आदेश दिखाकर डिजिटल अरेस्ट किया गया था. इसके बाद पीड़ित दंपती ने 21 सितंबर को तत्कालीन CJI बीआर गवई को पत्र लिखकर पूरी जानकारी दी थी.   

 

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