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राष्ट्रगीत वंदे मातरम् पर संसद के शीतकालीन सत्र में चार या पांच दिसंबर को विशेष चर्चा

New Delhi :  भारत के राष्ट्रगीत वंदे मातरम फिर सुर्खियों में है. ऐसा इसलिए कि वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर संसद के शीतकालीन सत्र में विशेष चर्चा की जायेगी. जानकारी के अनुसार लोकसभा में गुरुवार या शुक्रवार को इस पर चर्चा होने की सूचना है.

 

चर्चा का समय 10 घंटे का निर्धारित किया गया है. अहम बात यह है कि प्रधानमंत्री  मोदी इस विशेष बहस में शामिल होंगे. कहा जा रहा है कि यह चर्चा स्वतंत्रता संग्राम के इस प्रेरक गीत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित करने वाली होगी. 

 

याद करें कि संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कल 30 नवंबर को ऑल-पार्टी मीटिंग की थी. इस मीटिंग और लोकसभा व राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की बैठक में इस प्रस्ताव(वंदे मातरम) पर सहमति बनी. सरकार ने इसे राष्ट्रीय एकता का प्रतीक करार देते हुए सभी दलों को इसमें शामिल होने का न्योता दिया है. राजग सदस्यों ने राज्यसभा में भी वंदे मातरम पर चर्चा की वकालत की है.  


 
खबरों के अनुसार लोकसभा बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में कांग्रेस ने विशेष गहन संशोधन (SIR) और चुनावी सुधारों पर बहस की मांग की, लेकिन सरकार ने वंदे मातरम को प्राथमिकता दी. टीएमसी ने वंदे मातरम पर लोकसभा में विशेष चर्चा कराये जाने का समर्थन किया.   

 

राष्ट्रगीत वंदे मातरम की बात करें तो इस गीत को 1950 में भारतीय गणराज्य के राष्ट्रीय गीत के रूप में स्वीकार किया गया था. बंकिम चंद्र चटर्जी ने 1870 के दशक में  इसे संस्कृतनिष्ठ बांग्ला भाषा में लिखा था. अहम बात यह कि यह गीत बंकिम चंद्र चटर्जी के बंगाली उपन्यास आनंदमठ का ही हिस्सा है.

 

उपन्यास का प्रकाशन  पहली बार 1882 में प किया गया था. इस गीत की रचना के 150 वर्ष पूरे होने पर केंद्र सरकार ने विशेष स्मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया था. 

 

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