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झारखंड में मंत्री की पत्नी हजामत बनाकर और अफसर के बच्चे सब्जी बेचकर कमाते हैं लाखों

Ranchi: भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे मंत्रियों की पत्नियां हजामत बना कर लाखों कमाती हैं. अफसर के बच्चे भी गाजर, मूली और सब्जी बेच कर लाखों की कमाई करते हैं. अफसर का बेटा कागजी सब्जी तो बेचता था, लेकिन 300 रुपये लीटर का बोतल बंद पानी पीता था. केंद्रीय जांच एजेंसियों (सीबीआई, ईडी,आयकर) की जांच में भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे बड़े लोगों के पारिवारिक सदस्यों द्वारा कागजी व्यापार कर काली कमाई को छिपाने की कोशिश का पर्दाफाश हुआ. 


राज्य गठन के बाद आयकर विभाग की अनुसंधान शाखा ने तत्कालीन मंत्री हरि नारायण राय के मामले में जांच के दौरान कई तरह के कागजी व्यापार का पर्दाफाश किया. जांच में पाया गया कि तत्कालीन मंत्री हरि नारायण राय की काली कमाई को छिपाने के लिए उनकी पत्नी ने हजामत बनाने का कागजी धंधा शुरू किया था. 


पूछताछ में तत्कालीन मंत्री की पत्नी ने यह स्वीकार किया कि उनके पास कागजी ब्यूटी पार्लर है. उसी से वह लाखों की कमाई करती हैं. बाद में इस मामले की जांच सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने भी की. 


इसमें यह पता चला कि इस तत्कालीन मंत्री के पारिवारिक सदस्य डेयरी फॉर्म भी चलाते हैं. डेयरी फार्म से भी लाखों की कमाई होती है. जांच के दौरान डेयरी फॉर्म में कुछ गायें मिली, कुछ नहीं मिली. लेकिन दोनों की गायें (यानी जो थीं और जो नहीं थी) दूध देती थीं और उससे लाखों कमाई होती थी.
जांच के बाद सीबीआई और ईडी दोनों की कोर्ट से तत्कालीन मंत्री का सजा हो चुकी है. इसी क्रम में तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री एनोस एक्का के ख़िलाफ भी सीबीआई और ईडी ने जांच की. इस तत्कालीन मंत्री ने अपनी पत्नी को अपने ही विभाग में ठेकेदार बना दिया था.

 
ईडी कोर्ट द्वारा तत्कालीन मंत्री एनोस एक्का को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में सजा सुनायी जा चुकी है. मंत्री के आलीशान महल पर ईडी का कब्जा भी हो गया है. फिलहाल ईडी का क्षेत्रीय कार्यालय एनोस के मकान ही चल रहा है. ईडी की जांच में फंसे एक पूर्व मंत्री की पत्नी तो पति की काली कमाई को छिपाने के लिए मछली का कागजी व्यापार करती थीं. 


भानु प्रताप शाही भी सीबीआई और ईडी की जांच में फंसे हैं. जांच में पता चला कि उनकी संस्था को तो ऐसे-ऐसे लोगों ने लाखों का दान दिया है, जो खुद अपनी मदद करने में सक्षम नहीं थे. इस पूर्व मंत्री का मामला भी न्यायालय में विचाराधीन है.
राज्य के पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम भी ईडी जांच के दायरे में फंसे हैं. उनके आप्त सचिव संजीव लाल के करीबी जहांगीर आलम के ठिकाने से ईडी ने 32.20 करोड़ रुपये नकद जब्त किये थे. 


राज्य में ईडी द्वारा जब्त की जाने वाली यह अब तक की सबसे बड़ी नकदी है. संजीव लाल का करीबी जहांगीर आलम का काम सिर्फ ठेकेदारों से वसूली गयी रकम को अपने पास हिफाजत से रखना था. 
लेकिन जांच में पता चला कि वह भी कागजी व्यापारी है. उसके पास कमीशन की भारी नकदी जमा होती थी, इसलिए वह गाजर मूली के बदले काजू, किशमिश, अखरोट और महंगे ड्राईफ्रूट का कागजी व्यापार करता था. 


उसने ड्राईफ्रूट के कागजी व्यापार से हुई कमाई से जमीन, फ्लैट सहित अन्य संपत्ति अर्जी की. ग्रामीण विकास के तत्कालीन चीफ इंजीनियर बिरेंद्र राम तो मंत्री से पहले ही ईडी जांच के दायरे में फंस गये थे. उनका मासिक घरेलू खर्च उनके वेतन से कई गुना ज्यादा था. 
बच्चे 300 रुपये लीटर का बोतल बंद पानी पीते थे. 30-35 हजार का शर्ट एक बार पहनकर फेंक देते थे. लेकिन अपने पिता की काली कमाई पर पर्दा डालने के लिए कागजी तौर पर गाजर, मूली, गोभी, बैंगन वगैरह बेचते थे. 


इसी तरह के कागजी व्यापार का नया मामला महिला दारोगा मीरा सिंह के मामले में ईडी ने उजागर किया है. इसमें पत्नी की काली कमाई पर पर्दा डालने के लिए दारोगा का पति ही कागज पर सब्जी बेचने लगा था.

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