Lagatar Desk : भारत में कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर कोहराम मचा रही है. हर दिन बढ़ते मामलों के साथ भारत अब दुनिया में कोरोना संक्रमण का केंद्र बन गया है. महामारी की दूसरी लहर से निबटने के अब के सारे प्रयास विफल साबित हुए हैं. इसे लेकर अंतरराष्ट्रीय प्रेस का ध्यान अब ब्राजील से हट कर भारत की ओर आ गया है. अपनी छवि को लेकर बेहद सचेत रहनेवाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेशी प्रेस के निशाने पर आ गये हैं. दुनिया भर के अखबारों की नजर में मोदी ने कोविड -19 के खिलाफ लड़ाई के नायक से मामूली आदमी तक का सफर तय कर लिया है. विदेशी मीडिया के अनुसार, दुनिया के सबसे सख्त राष्ट्रीय लॉकडाउन के जरिये कोरोना की पहली लहर का कुशलतापूर्वक सामना करने के बाद मोदी दूसरी लहर में आम आदमी की तरह बेबस दिखाई दे रहे हैं.
भारत की प्रचंड दूसरी लहर में फड़फड़ाते मोदी – टाइम्स
भारत में संक्रमितों की संख्या एक दिन में तीन लाख के पार होने पर लंदन के द टाइम्स की हेडलाइन है, “Modi flounders in India’s gigantic second wave,” यानी भारत की प्रचंड दूसरी लहर में फड़फड़ाते मोदी. कोरोनावायरस की दूसरी लहर से निबटने की सरकार की प्रतिक्रिया पर भड़कते हुए द टाइम्स लिखता है कि “आत्मसंतुष्टि और इनकार की हवा, जिसने संकट काल में अपनी सरकार की प्रतिक्रिया को कुंद कर दिया है”.
कोविड नरक में भारत की पीढ़ी – गार्जियन
श्मशान में चिता से ऊंची उठती लपटों की तस्वीर के साथ द गार्जियन की मुख्य खबर का शीर्षक है- “The system has collapsed: India’s descent into Covid hell,” सिस्टम ध्वस्त हो गया है: कोविड नरक में भारत की पीढ़ी. अखबार लिखता है, “कई लोगों की गलतफहमी थी कि देश ने कोविड को हराया था. अब, अस्पताल ऑक्सीजन की कमी का सामना कर रहे हैं और मुर्दाघरों में शवों का अंबार लगा है”.
संक्रमण के मामलों में असाधारण वृद्धि के कारण दुनिया की निगाहें भारत पर टिकी हैं. क्योंकि पिछले 24 घंटों में वैश्विक स्तर पर रिपोर्ट किये गये नये मामलों का एक बड़ा हिस्सा यहां उभरा है. गुरुवार सुबह तक के आंकड़ों के मुताबिक नये मामलों में से 314,644 भारत में थे, जो दुनिया भर में मिले संक्रमितों का लगभग आधा है.
चुनावी रैलियों और कुंभ को लेकर सरकार की आलोचना
अब तक वैश्विक कोविड आपदा क्षेत्र के रूप में ब्राजील पर टिका अंतरराष्ट्रीय कवरेज अब भारत पर केंद्रित है, जहां महामारी नियंत्रण से बाहर है. वैश्विक प्रेस ने विशेष रूप से केंद्र सरकार पर निशाना साधा है, जो आत्ममुग्ध है और दूसरी लहर के लिए तैयार नहीं है. इसके अलावा पश्चिम बंगाल में बड़े पैमाने पर चुनावी रैलियां आयोजित करने के लिए सरकार को फटकार लगायी गयी है, जिससे स्थिति और खराब हो सकती है.
अंतरराष्ट्रीय अखबारों ने कुंभ मेला के आयोजन मंजूरी देने को लापरवाह फैसला बताया है. उन्होंने अपने मुख्य पृष्ठ पर बिना मास्क लगाये भक्तों की भारी भीड़ की तसवीरें छापी हैं. उन्होंने लिखा है कि अपने हिंदू समर्थकों को खोने के डर से भारत सरकार ने कुंभ मेला के आयोजन को रोकने की हिम्मत नहीं दिखाई.
मोदी सरकार की गलतियों पर बरसा टाइम्स
द टाइम्स ने भारत सरकार पर तीखा हमला बोला है. वह लिखता है कि दूसरी लहर की गति और भयावहता ने इस वर्ष की शुरुआत में की गयी गलतियों को उजागर कर दिया है. 2020 में की गयी गलतियों को दोहराया गया और नयी गलतियां की गयीं. इसने भारतीयों को संक्रमण की सुनामी के आगे लाचार छोड़ दिया और देश को पतन के कगार पर धकेल दिया है.
अखबार में मोदी को बंगाल की एक रैली में बिना मास्क के दिखाया है. इसमें हजारों लोग बिना मास्क पहने दिख रहे हैं, जहां मोदी घोषणा कर रहे हैं कि, “सभी दिशाओं में मुझे लोगों की भारी भीड़ दिखाई देती है. मैंने ऐसा कभी नहीं देखा है.
फाइनेंशियल टाइम्स ने सरकार पर फोड़ा ठीकरा
द फाइनेंशियल टाइम्स ने अपनी चिरपरिचित शांत शैली में अस्पताल में बेड के इंतजार में मरते हुए लोगों, ऑक्सीजन की विनाशकारी कमी और गंगा तट पर अपने प्रियजनों के अंतिम संस्कार के मार्मिक दृश्य का वर्णन किया है. द फाइनेंशियल टाइम्स ने भी कोरोना की दूसरी लहर के लिए सरकार को जिम्मेदार बताया है. अखबार लिखता है- “यह तबाही उन अधिकारियों की लापारवाही और तैयारियों की कमी का नतीजा है, जो मानते थे कि महामारी का दौर बीत चुका है.”
यह लहर नहीं बल्कि एक दीवार है- वाशिंगटन पोस्ट
द वाशिंगटन पोस्ट ने उत्तर प्रदेश के एक मुस्लिम कब्रिस्तान के हवा से ली गयी तसवीर के साथ खबर दी है, जिसमें बड़ी संख्या में ताजी कब्रों को दिखाया गया है. अखबार लिखता है, “भारत में यह लहर नहीं बल्कि एक दीवार है.” (In India, this surge is not a wave but a wall.) इसमें कहा गया है: “कुछ शहरों के श्मशान घाटों की भट्टियां चौबीसों घंटे जल रही हैं.”
वाशिंगटन पोस्ट ने इस स्थिति के लिए वायरस के अधिक संक्रामक रूप के साथ प्रतिबंधों में शुरुआती ढील और धीमी गति से चलने वाले टीकाकरण अभियान को दोषी ठहराया है. एक अन्य रिपोर्ट में इसने विभिन्न राज्यों में टीकों की बर्बादी की खबर भी दी है.
जीनोम सीक्वेंसिग में पिछड़ रहा भारत- वॉल स्ट्रीट जर्नल
वॉल स्ट्रीट जर्नल कहता है कि चिंताजनक रूप से कोविड -19 को संभालना मुश्किल और कठिन हो गया है. क्योंकि हाल के हफ्तों में उभरे अलग-अलग और तेजी से फैलने वाले म्यूटेशन की पहचान के लिए जीनोम सीक्वेंसिग के मामले में भारत पिछड़ रहा है. यह भारत को “महामारी के लिए ग्राउंड जीरो बताया है. अखबार ने एक शोधकर्ता के हवाले से कहा है कि 1.3 अरब से ज्यादा की आबादी और आसमान छूते संक्रमणों के कारण भारत में वायरस के विभिन्न प्रकार के वेरियेंट के विकास की संभावना है, जो कि अपनी सीमाओं से बाहर दूसरे देशों तक भी फैल सकता है.” वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार जीनोम सीक्वेंसिंग के मामले में भारत 134 देशों में 85वें नंबर पर है.
भारत में अनुक्रमण दर 0.18 प्रतिशत
वॉल स्ट्रीट जर्नल की गणना के अनुसार भारत में अनुक्रमण दर 0.18 प्रतिशत है. इसके विपरीत यूके जीनोम अनुक्रमण में बहुत आगे 7.7 प्रतिशत पर है. अमेरिका 0.75 फीसदी पर है. जीनोम अनुक्रमण जांच परीक्षणों की तेजी से विकास और कोविड वायरस के वेरिएंट का जवाब देने के लिए टीकों के विकास में मददगार है. अखबार ने वायरस को कम जीनोम अनुक्रमण की दर के बावजूद हराने के शुरुआती घमंड को दोषी ठहराते हुए कहा है कि दिल्ली में कई जांच केंद्र जो प्रयोगशालाओं को सकारात्मक कोविड -19 के नमूने दे सकते थे, महामारी पर विजय की घोषणा के बाद समय से पहले नष्ट कर दिये गये.
ऑक्सीजन की कमी और नासिक हादसे पर भी कवरेज
अंतरराष्ट्रीय प्रेस ने पिछले दो दिनों में ऑक्सीजन की देशव्यापी कमी और नासिक अस्पताल के हादसे पर विशेष ध्यान दिया है, जहां ऑक्सीजन टैंक में रिसाव के बाद 24 रोगियों की मौत हो गयी थी. “न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है, अस्पताल में बेड, ऑक्सीजन और टीकों की आपूर्ति कम होने के कारण सरकार की आलोचना बढ़ रही है.”
मीडिया को लगता है कि मोदी कोरोना की पहली लहर में संक्रमण को न्यूनतम रखने के बाद आत्ममुग्धता के शिकार होकर आलसी हो गये. अब मोदी को एक विशाल जनसंपर्क अभियान चला कर इस वैश्विक धारणा को तोड़ना होगा कि वह कोरोना की दूसरी लहर को दबाने में बुरी तरह विफल रहे हैं.