Jamshedpur (Ashok kumar) : शहर का गैंगस्टर अखिलेश सिंह ने दो दशक पहले अपराध की दुनिया में कदम रखते ही जुगसलाई के व्यापारी ओम प्रकाश काबरा का अपहरण 28 जुलाई 2001 को करके अपना पहला खाता खोला था. इसके बाद 10 अगस्त को सरेंडर करने के बाद वह जेल गया था. जेल में पेशी के दौरान ही वह फरार हो गया था. फरारी के दौरान ही उसने जेलर उमाशंकर पांडेय की हत्या जेल आवास में घुसकर दिन-दहाड़े हत्या कर दी थी. इसके बाद अखिलेश ने अपराध की दुनिया में अपनी पकड़ को और मजबूत कर लिया. हत्या, रंगदारी और अपहरण करना उसका पेशा बन गया. अपना गैंग भी बना लिया और गैंग के मार्फत रंगदारी के लिये आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने लगा. वह सिर्फ जमशेदपुर शहर में ही नहीं बल्कि झारखंड और बिहार दोनों राज्यों में रातों-रात सुर्खियों में आ गया.
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12 मार्च 20012 को की थी जेलर उमाशंकर पांडेय की हत्या
अखिलेश सिंह ने 12 मार्च 2012 को साकची जेल के जेलर उमाशंकर पांडेय की हत्या साकची जेल के आवासीय क्वार्टर में गोली मारकर कर दी थी. घटना के समय उसके साथ संतोष सिंह भी था. तब साथी को पुलिस ने पकड़ लिया था और उसे पीट-पीटकर मार डाला गया था. 20 जून 2002 को उसने सिदगोड़ा के तत्कालीन थाना प्रभारी अरविंद कुमार पर गोली चलायी थी. 11 सितंबर 2002 को जुगसलाई में व्यापारी संजय कुमार मित्तल के घर पर बम से हमला करने का मामला दर्ज किया गया था. 6 नवंबर 2002 को ओम प्रकाश काबरा की हत्या भारत और वेस्टइंडीज के बीच क्रिकेट मैच के दिन ही कालीमाटी रोड स्थित दुकान में घुसकर गोली मारकर हत्या की थी. बिष्टुपुर के तत्कालीन थाना प्रभारी अभय नारायण सिंह ने अखिलेश सिंह को 7 अक्तूबर 2004 को बिहार के बक्सर नगवा गांव से 2004 में गिरफ्तार किया था.
जेलर हत्याकांड में है सजायाफ्ता
अखिलेश सिंह जेलर उमा शंकर पांडेय हत्याकांड में सजायाफ्ता है. 3 जनवरी 2006 को उसे अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी. इसके बाद वह 2007 में मां का इलाज के नाम पर पेरोल पर बाहर निकला था. साकची थाना में 7 नवंबर 2003 को एसबी श्रीनिवासन को रंगदारी नहीं देने पर गोली मारी थी. 17 फरवरी 2004 को सोनारी में धरमदास को रंगदारी नहीं देने पर स्क्योरिटी गार्ड को गोली मारी थी. 3 अप्रैल 2004 को व्यापारियों को धमकी देकर आइसीआइसीआइ बैंक में रुपये जमा कराने की घटना घटी थी.
2 नवंबर 2007 को की श्रीलेदर्स के मालिक आशीष डे की हत्या
अखिलेश सिंह ने 2 नवंबर 2007 को श्रीलेदर्स के मालिक आशीष डे की गोली मारकर हत्या की. 12 मार्च 2008 को पूर्व जज आरपी रवि पर फायरिंग की. 20 मई 2008 को अखिलेश ने आशीष डे के साकची आवास पर फायरिंग की. 2008 में बिष्टूपुर कांट्रेक्टर एरिया में नट्टू झा के कार्यालय पर दो बार फायरिंग का मामला दर्ज है. बन्ना गुप्ता के ऑफिस पर 8 अगस्त 2008 को फायरिंग करने, 28 अगस्त 2008 को परमजीत सिंह के भाई सत्येंद्र सिंह पर फायरिंग करने, 17 सितंबर 2008 को परमजीत सिंह के कैदी वैन पर फायरिंग करने, 4 अक्तूबर 2008 को टाटा स्टील के सुरक्षा पदाधिकारी जयराम सिंह की हत्या करने का मामला दर्ज है.
परमजीत से होने लगी थी अन-बन
अखिलेश सिंह ने जब अपराध की दुनिया में अपना कदम रखा था तब परमजीत सिंह अपना जगह बना चुका था. दोनों के बीच रंगदारी वसूली को लेकर ही अन-बन हो रही थी. दोनों का अलग-अलग गैंग शहर में था. दोनों कई बार आमने-सामने आए और भिड़ंत भी हुई थी. तब शहर में दोनों गैंग सुर्खियों में था. आये दिन आपराधिक गतिविधियां होती रहती थी.
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