Jamshedpur (Sunil Pandey) : एमजीएम अस्पताल की व्यवस्था में सुधार तथा खामियों को दूर करने की दिशा में अस्पताल प्रबंधन की ओर से कोई रूचि नहीं ली जा रही है. अस्पताल में व्याप्त खामियों को दूर करने के लिए कई बार प्रबंधन को निर्देश दिया गया. यहां तक की उपायुक्त ने जांच टीम गठित की. फिर भी कोई सुधार नहीं हुआ. जांच टीम ने कई बिंदुओं पर उपायुक्त को रिपोर्ट सौंपी है. जिसमें कई गंभीर मामले उजागर किए गए हैं. इसे देखते हुए उपायुक्त ने अस्पताल अधीक्षक रवींद्र कुमार से स्पष्टीकरण तलब किया है. उनसे 24 घंटे के भीतर दर्जनभर बिंदुओं पर जवाब देने के लिए कहा गया है. साथ ही चेताया गया है कि क्यों नहीं आपके खिलाफ कार्रवाई के लिए स्वास्थ्य विभाग को अनुशंसा भेजी जाय. ज्ञातब्य हो कि उपायुक्त ने जांच टीम में 7 अधिकारियों एवं 28 कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति की है. जो प्रतिदिन दोपहर 01 से 03 बजे तथा रात में 09 से 11 बजे अस्पताल का निरीक्षण कर उपायुक्त को रिपोर्ट करती है.
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वर्षों से सीटी स्कैन व महीनों से 40 एसी पड़े हैं खराब
उपायक्त द्वारा गठित जांच टीम ने अस्पताल की गहनता से जांच की. जिसमें कई चौंकाने वाले मामले सामने आए. मरीजों के इलाज में मददगार साबित होने वाला सीटी स्कैन मशीन वर्षों से खराब पड़ा है. उसे बनवाने में प्रबंधन रूचि नहीं ले रहा है. इसी तरह एक्स-रे मशीन का कैमरा तथा प्रिंटर कई महीनों से खराब है. जांच में पाया गया कि अस्पताल के लगभग 40 एसी कई महीनों से खराब है. इसके अलावे आउटसोर्स पर बहाल कर्मचारी मनमर्जी से ड्यूटी करते हैं. 31 मई को की गई जांच में पांच कर्मी अनुपस्थित पाये गये. एजेंसी की ओर से आउटसोर्स कर्मचारियों को पहचान पत्र तक नहीं दिया गया है.
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शौचालयों की छत से जल का हो रहा है रिसाव
उपायुक्त द्वारा गठित जांच टीम के सदस्यों ने पाया कि अस्पताल के एक्सरे विभाग समेत अन्य कई वार्ड के शौचालय की छतों से जल का रिसाव हो रहा है, जिससे शॉर्ट सर्किट की संभावना है. अस्पताल में उपलब्ध 05 एम्बुलेंस में 01 एम्बुलेंस की चाभी गुम हो गई है. जिसके कारण उसका उपयोग नहीं हो रहा है. इसी तरह ब्लड बैंक में आवश्यकता से कम ब्लड रहता है. 3 जून को केवल 150 यूनिट ब्लड स्टॉक में पाया गया. अस्पताल में ड्रेसर के 20 पद स्वीकृत हैं परन्तु वर्त्तमान में एक भी ड्रेसर कार्यरत नहीं है एवं टेकनीशियन से ड्रेसर का कार्य कराया जा रहा है. रविवार को बायो वेस्ट का उठाव नहीं होता है. मरीजों की सुविधा के डिस्प्ले बोर्ड नहीं लगाया गया है. अस्पताल के बेड में गंदे चादर बिछाए जाते हैं. वहीं मरीजों को बरामदे में बगैर पंखे के छोड़ दिया जाता है.
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