Vishwajeet Bhatt
Jamshedpur : झारखंड सरकार ने औपचारिक रूप से राखा खनन पट्टा विलेख (लीज डीड) का निष्पादन किया है, जो भारत के खनन उद्योग के लिए एक मील का पत्थर है. इस विलेख से पूर्वी सिंहभूम जिले में स्थित राखा कॉपर माइंस के बहुप्रतीक्षित पुनः उद्घाटन और विस्तार का मार्ग प्रशस्त हुआ है. यह पट्टा विलेख पूर्वी सिंहभूम जिला के उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी द्वारा सरकार की ओर से हस्ताक्षरित किया गया. हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (एचसीएल) की ओर से इंडियन कॉपर कॉम्प्लेक्स (आईसीसी) के कार्यकारी निदेशक-सह-यूनिट प्रमुख ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किया. मौके पर अपर उपायुक्त भगीरथ प्रसाद और जिला खनन पदाधिकारी सतीश कुमार नायक उपस्थित थे. राखा खनन पट्टा को 20 वर्षों के लिए आगे बढ़ाया गया है, जो क्षेत्र में तांबे के खनन के पुनरुद्धार की दिशा में एक बड़ा कदम है.
सरकार की नीति एवं खनन को बढ़ावा देने की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है विलेख का निष्पादन
उपायुक्त ने इस अवसर पर कहा कि राखा खनन पट्टा विलेख का सफल निष्पादन झारखंड सरकार की नीति एवं खनन को बढ़ावा देने की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है. यह पर्यावरणीय नियमों के अनुपालन को सुनिश्चित करता है और क्षेत्र की जनता के लिए नए अवसर प्रस्तुत करता है. यह परियोजना पूर्वी सिंहभूम जिले में समावेशी विकास और सतत प्रगति को गति प्रदान करेगी. यह उपलब्धि झारखंड सरकार के खनन और संबद्ध क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने पर निरंतर ध्यान को रेखांकित करती है, जिससे भारत की खनिज अर्थव्यवस्था में राज्य की नेतृत्वकारी भूमिका और मजबूत होगी.
एचसीएल के कार्यकारी निदेशक ने सरकार के प्रति जताया आभार
एचसीएल के कार्यकारी निदेशक-सह-यूनिट प्रमुख ने झारखंड सरकार और जिला प्रशासन का आभार जताया. हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड भारत सरकार का एक उपक्रम है और देश का एकमात्र ऊर्ध्वाधर रूप से एकीकृत कॉपर उत्पादक है. इसकी गतिविधियों में खनन, परिशोधन, स्मेल्टिंग, रिफाइनिंग और कास्टिंग शामिल हैं. घाटशिला स्थित इंडियन कॉपर कॉम्प्लेक्स (आईसीसी), जिसमें राखा खदान भी शामिल है.
24 वर्षों बाद फिर शुरू होगा खनन का कार्य
24 वर्षों बाद पुनः खनन कार्य शुरू होगा. 2001 से बंद पड़े राखा खदान का संचालन फिर से शुरू होगा. एचसीएल से प्रतिवर्ष लगभग 30 लाख टन अयस्क के उत्पादन की उम्मीद है, जबकि एक नया कंसंट्रेटर संयंत्र विकसित किया जाएगा, जिसकी क्षमता प्रतिवर्ष 30 लाख टन तक होगी. इस परियोजना से लगभग 10,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की संभावना है, जिससे स्थानीय रोज़गार और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा. यह देश की तांबे के उत्पादन में आत्मनिर्भरता को सुदृढ़ करेगा.
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