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जमशेदपुर : श्रीराम कथा में श्रीराम जन्म लीला प्रसंग सुन झूमे श्रद्धालु

Jamshedpur (Dharmendra Kumar): श्री राजस्थान शिव मंदिर जुगसलाई में चल रहे नौ दिवसीय श्री राम कथा के चौथे दिन शुक्रवार को कथावाचक ममता पाठक ने श्रीराम जन्म सुन्दर वर्णन किया. श्रीराम जन्म पर श्रद्धालुओं ने सोहर गाए और खुब नृत्य किया. व्यासपीठ से कथावाचन ममता पाठक ने श्रीराम जन्म प्रसंग को सुनाते हुए कहा कि अयोध्या के महाराज दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ किया था. इस यज्ञ में शामिल होने के लिए राजा दशरथ ने सभी ऋषि-मुनियों व विद्वान पंडितों को आमंत्रित किया था. निर्धारित दिन पर महाराज दशरथ अपने बंधु बांधव, गुरु वशिष्ठ, ऋंग ऋषि व अन्य विद्वानों द्वारा संपूर्ण विधि विधान के साथ यज्ञ संपन्न कराया. यज्ञ में पड़ रहे आहुति के दौरान अग्निदेव प्रकट हुए और प्रसाद स्वरुप खीर से भरा कटोरा राजा दशरथ को प्रदान कर पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद देकर अंतर्ध्यान हो गए. राजा दशरथ ने फिर सभी ब्राह्मणों, विद्वानों व अतिथियों को उपहार में धन आदि देकर आदरपूर्वक विदा गया. प्रसाद को खाने के बाद तीनों रानियां गर्भवती हो गई. इसे भी पढ़ें : जमशेदपुर">https://lagatar.in/jamshedpur-sawan-festival-organized-at-dbms-college-of-education-2/">जमशेदपुर

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आरती के बाद लोगों में प्रसाद का हुआ वितरण

चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन राजा दशरथ की पहली पत्नी रानी कौशल्या ने संतान के रूप में भगवान श्रीराम को जन्म दिया. बच्चे के चेहरे की आभा ऐसी थी कि हर कोई देखकर समझ जाता था कि वह साधारण बालक नहीं है. इसी तरह राजा की दूसरी रानी कैकेयी ने एक पुत्र और तीसरी रानी सुमित्रा ने दो पुत्र को शुभ नक्षत्रों में जन्म दिया. राजा दशरथ का महल और नगर चार पुत्रों के जन्म से खिलखिला उठा. चारों तरफ आनंद और जश्न का माहौल था. पूरी प्रजा खुशी से नाच गा रही थी. भगवान श्रीराम के जन्म पर देवता भी फूलों की वर्षा करने लगे. इस जश्न में शामिल होने के लिए कई ब्राह्मण भी पहुंचे और राजा दशरथ के पुत्रों को आर्शीवाद दिया. कथा की समाप्ति के पश्चात आरती हुई और लोगों में प्रसाद का वितरण किया गया. [wpse_comments_template]

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