Jamshedpur (Anand Mishra) : जमशेदपुर के इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया), लोकल चैप्टर की ओर से शुक्रवार को भारत रत्न सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की 162वीं जयंती समारोहपूर्वक मनायी गयी. इस अवसर पर इंस्टीट्यूशन परिसर स्थित सर विश्वेश्वरैयारी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर की गयी. इंस्टीट्यूशन के पूर्व अध्यक्ष बीके दास ने समारोह की विधिवत शुरुआत की. वहीं आईईआई जेएलसी अध्यक्ष इंजीनियर प्रबल घोष ने स्वागत भाषण किया. साथ ही उन्होंने इंजीनियर्स दिवस के महत्व के बारे में बात करते हुए इस दिन के थीम से अवगत कराया. समारोह में शहर के तीन इंजीनियरों को इंजीनियर्स डे अवार्ड से सम्मानित किया गया. इनमें इंजीनियर अवनीश गुप्ता, एफआईई इंजीनियर अशोक कुमार दास, एफआईई और डॉ मधु सिंह, एफआईई शामिल हैं.
समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि इंजीनियर बीके दास ने कहा कि प्रख्यात भारतीय इंजीनियर और राजनेता सर विश्वेश्वरैया का जन्म कर्नाटक के एक सुदूर गांव में हुआ था. वह राज्य जो संयोगवश अब देश का हाईटेक राज्य है. समाज में उनके उत्कृष्ट योगदान के कारण भारत सरकार ने इस महापुरुष को वर्ष 1955 में “भारत रत्न” से सम्मानित किया. उन्हें भारत में आर्थिक नियोजन का अग्रदूत भी कहा जाता है. भारत में आर्थिक नियोजन, भारत के लिए नियोजित अर्थव्यवस्था और भारत के पुनर्निर्माण पर उनका व्याख्यान, देश के नियोजन प्रयास पर पहला उपलब्ध दस्तावेज़ था और इसे अभी भी आर्थिक योजनाकारों के लिए मूल स्रोत के रूप में रखा जाता है. संस्थान की राष्ट्रीय परिषद द्वारा हर साल राष्ट्रीय महत्व का एक विषय चुना जाता है और सामान्य रूप से इंजीनियरिंग बिरादरी और विशेष रूप से समाज को शिक्षित करने के लिए इसके विभिन्न राज्य/स्थानीय केंद्रों पर विचार-विमर्श किया जाता है.
उन्होंने कहा कि इस वर्ष संस्थान की राष्ट्रीय परिषद ने “इंजीनियरिंग एक लचीला भविष्य: मजबूत, स्मार्ट, सुरक्षित निर्माण” विषय का चयन किया है. ”इस गतिशील युग में, इंजीनियर प्रगति के मामले में सबसे आगे खड़े हैं, एक ऐसे भविष्य का निर्माण कर रहे हैं जो अच्छी तरह से मजबूत और दृढ़ हो. वे लचीलेपन के वास्तुकार हैं, समय की कसौटी पर खरी उतरने वाली संरचनाओं के निर्माण के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं. अपनी विशेषज्ञता के साथ, वे भयंकर तूफानों का सामना करने वाले टावर, विशाल खाई तक फैले पुल और सुरक्षित यात्रा का मार्ग प्रशस्त करने वाली सड़कें बनाते हैं. लचीलेपन के साथ, इंजीनियर मजबूती से खड़े होते हैं, जो एक मजबूत कल के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक है. लेकिन इंजीनियरिंग किलेबंदी से आगे तक जाती है. यह एक ऐसी दुनिया की कल्पना करने के बारे में है जहां प्रौद्योगिकी अनंत संभावनाओं को खोलती है.
श्री दास ने कहा कि हमारे इंजीनियर नवाचार की शक्ति का उपयोग करते हैं. स्मार्ट सिस्टम बनाने के लिए अत्याधुनिक प्रगति का लाभ उठाते हैं. संसाधनों को अनुकूल करने वाले बुद्धिमान शहरों से लेकर क्रांतिकारी परिवहन समाधानों तक, वे हमें ऐसे भविष्य की ओर ले जाते हैं जहां बुद्धिमत्ता का राज सर्वोच्च हो. बावजूत लचीलापन सिर्फ शारीरिक नहीं है. यह हमारी सुरक्षा और भलाई तक फैला हुआ है. इंजीनियर हमारी सुरक्षा के संरक्षक हैं. वे जीवन की सुरक्षा करने वाली संरचनाओं और प्रणालियों को सावधानीपूर्वक डिजाइन करते हैं. वे कड़े सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू करते हैं. आपदा प्रबंधन रणनीतियों और अभूतपूर्व तकनीकों का विकास करते हैं, जो हमें नुकसान से बचाती हैं. सुरक्षा के प्रति उनका समर्पण एक ऐसा वातावरण बनाता है जहां हम मानसिक शांति के साथ आगे बढ़ सकते हैं और समृद्ध हो सकते हैं.
उन्होंने कहा कि इंजीनियर एक ऐसी दुनियां को आकार देते हैं, जो प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करती है. जहां प्रगति और संरक्षण के बीच नाजुक संतुलन कायम रहता है. अपने नवाचारों के माध्यम से, वे यह सुनिश्चित करते हैं कि आने वाली पीढ़ियों को एक ऐसा कुछ विरासत में मिले जो प्रचूर संसाधनों और संपन्न पारिस्थितिकी तंत्र से समृद्ध हो. उन्होंने कहा कि नवप्रवर्तन और लचीलेपन की शक्ति को अपनाने में हमारे साथ जुड़ें. क्योंकि हम उन गुमनाम नायकों का सम्मान करते हैं जो हमारी दुनियां को आकार देते हैं और एक ऐसे भविष्य का निर्माण करते हैं जो सीधे खड़ा होता और स्मार्ट सोचता है और हमें सुरक्षित रखता है. अतः सभी का कर्तव्य बनता है कि मिलकर इंजीनियरों को सशक्त बनाएं और एक उज्जवल, अधिक लचीले कल की दिशा में मार्ग प्रशस्त करें. समारोह में शहर के प्रतिष्ठित इंजीनियरों और अतिथियों ने हिस्सा लिया. समारोह के समापन पर संस्थान के सचिव इंजीनियर शांति दास भट्टाचार्जी ने धन्यवाद ज्ञापन किया.
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