Jamshedpur (Ashok Kumar) : उलीडीह थाना क्षेत्र के बैंक ऑफ इंडिया में चार दिनों पूर्व डकैती की घटना को अंजाम देने के मामले में जिला पुलिस को अबतक किसी तरह की सफलता हाथ नहीं लगी है. सीसीटीवी फुटेज तो हाथ आया है, लेकिन फुटेज के माध्यम से सफलता की सीढ़ी चढ़ पाना पुलिस टीम के लिये आसान नहीं होगा. झारखंड के अलावा पुलिस अन्य राज्यों में भी छापेमारी कर रही है, लेकिन किसी तरह का सुराग अभी तक हाथ नहीं लग पाया है. सुराग हाथ नहीं लगने से पुलिस टीम खासा परेशान है.
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आखिर किस गिरोह ने दिया है घटना को अंजाम
आखिर एक करोड़ की डकैती कांड को किस गिरोह ने अंजाम दिया है. यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है. शुरू में संभावना व्यक्त की जा रही थी कि इसमें कोड़ा गैंग का हाथ है. इसके बाद पुलिस टीम को कटिहार भेजकर उसके पीछे लगाया गया था. कोड़ा गैंग से चार दिनों के बाद भी पुलिस को किसी तरह की सफलता हाथ नहीं लगी है.
32 लाख लूट जैसा अंजाम न हो जाये
बैंक ऑफ इंडिया में डकैती का मामला कहीं 32 लाख लूट जैसा नहीं हो जाये. इस बार भी पुलिस को लग रहा है कि डकैतों ने घटना को अंजाम देने में मोबाइल फोन का उपयोग नहीं किया है. अगर मोबाइल का उपयोग होता तब पुलिस को अबतक सुराग हाथ लग गयी होती. बिष्टूपुर में 14 फरवरी को जब केनरा बैंक में 32 लाख लूट की घटना को अंजाम दिया गया था, तब भी मोबाइल का उपयोग नहीं किया गया था. तब भी पुलिस को सफलता हाथ नहीं लगी थी और इस कांड में भी पुलिस के लिये सफलता की सीढ़ी चढ़ पाना आसान नहीं होगा.
यह था मामला
उलीडीह के बैंक ऑफ इंडिया में 18 अगस्त की सुबह 10 बजे आधा दर्जन डकैत बैंक के भीतर सीबीआइ का अधिकारी बताकर घुस थे. इसके बाद बैंक के कर्मचारियों और ग्राहकों को मोबाइल अपने पास रख लिये और पिस्टल का भय दिखाकर सभी को किनारे कर दिया और बैंक से नकद 35 लाख रुपये समेत कुल एक करोड़ के जेवर लेकर फरार हो गये थे. घटना को अंजाम देने के बाद डकैतों ने बैंक के गेट के बाहर अपना ताला लगा दिया था. इसके बाद बाइक से फरार हो गये थे. डकैतों के हाथ में बैग साफ दिख रहा था. घटना के बाद डकैत अपनी दो बाइक से फरार हो गये थे. दूसरे दिन पुलिस ने बाइक को एनएच 33 आजादनगर के पास से लावारिस हालत में बरामद किया था.
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