Search

जमशेदपुर: रूस-यूक्रेन युद्ध भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था और व्यापार को प्रभावित करेगा-कैट

Jamshedpur:  कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल और राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया का कहना है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध से भारतीय अर्थव्यवस्था और व्यापार बुरी तरह प्रभावित होने के आसार हैं. युद्ध के कारण कच्चे तेल में अपेक्षित वृद्धि महंगाई को बढ़ावा देगा. सोने की कीमतों में अपेक्षित वृद्धि भी वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि का कारण बनेगी. दूसरी ओर मौजूदा परिस्थिति के  परिदृश्य में रुपये कमजोर होने की उम्मीद है. यह भारत के व्यापार संतुलन को प्रभावित करेगा. इसे भी पढ़ें: पूर्वी">https://lagatar.in/mining-game-in-east-singhbhum-2-license-to-only-30-crushers-in-the-district-how-more-than-two-dozen-crushers-are-running-in-potka-block-area-alone/">पूर्वी

सिंहभूम में माइनिंग का खेल-2:  जिले में सिर्फ 30 क्रशर को लाइसेंस, अकेले पोटका प्रखंड क्षेत्र में कैसे चल रहे दो दर्जन से अधिक क्रशर?

यूक्रेन के आपूर्तिकर्ताओं को किया गया अग्रिम भुगतान फंसने की आशंका

श्री खंडेलवाल और सुरेश सोंथालिया ने कहा कि भारत के व्यापारी सामान्य तौर पर यूक्रेन के आपूर्तिकर्ताओं को अग्रिम भुगतान करते हैं जो अब अनिश्चितकालीन के लिए फंसने की आशंका है. यूक्रेन से आने वाले शिपमेंट यदि फंस जाते हैं तो निश्चित रूप से भारतीय व्यापारियों को नुकसान होगा. डॉलर की कीमतों में अपेक्षित वृद्धि अन्य देशों के साथ व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. भारतीय व्यापारियों को शिपमेंट के समय प्रचलित कीमत का भुगतान करने के लिए मजबूर किया जाएगा.

पूरा व्यापार अस्थिर होने की आशंका

कैट के उक्‍त पदाधिकारियों ने बताया कि भारत कच्चे तेल के अलावा,  दवा,  कच्चे माल,  सूरजमुखी, जैविक रसायन, प्लास्टिक, लोहा, इस्पात आदि का यूक्रेन से आयात करता है. जबकि भारत फल, चाय, कॉफी, दवा उत्पाद, मसाले, तिलहन, मशीनरी और मशीनरी सामान आदि का निर्यात करता है. दूसरी ओर रूस भारत के साथ व्यापार में 25वां सबसे बड़ा भागीदार है. रूस को 2.5 बिलियन डॉलर का निर्यात किया जाता है और रूस से 6.9 बिलियन डॉलर का आयात करता है. सोने की कीमतों में बढ़ोतरी घरेलू बाजार को और प्रभावित करेगा. भारत का पूरा व्यापार भविष्य में अस्थिर होने की आशंका है.

थोक मूल्य सूचकांक में कच्चे तेल और संबद्ध उत्पादों की हिस्सेदारी 9%

कैट के अनुसार चालू वर्ष में भारत का कुल तेल आयात 25.8 प्रतिशत तक बढ़ गया है. थोक मूल्य सूचकांक में कच्चे तेल और संबद्ध उत्पादों की हिस्सेदारी 9% है. कच्चे तेल की कीमत में वृद्धि से पेट्रोल और डीजल की कीमतें और मुद्रास्फीति बढ़ेगी. इससे समग्र रूप से सभी वस्तुओं के दाम में वृद्धि होने की आशंका है. माल की विनिर्माण और परिवहन लागत अधिक महंगी हो जाएगी. कच्चे तेल का इस्तेमाल, प्लास्टिक, फार्मास्यूटिकल्स, मशीनरी, पेंट और कई अन्य वस्तुओं आदि के निर्माण में किया जाता है जो कीमतों को और बढ़ाने का कारक बनेगा.

व्यापारिक समुदाय सरकार के साथ, वित्तीय स्थिरता के लिये उठाए गए कदम का समर्थन करेगा

श्री खंडेलवाल और सुरेश सोंथालिया ने कहा कि देश का व्यापारिक समुदाय मौजूदा संकट के समय में सरकार के साथ एकजुटता से खड़ा है और देश में वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिये सरकार के कदम का समर्थन करेगा. सोंथालिया  ने केंद्र सरकार से रूस और यूक्रेन के बीच मौजूदा युद्ध पर नजर रखते हुए देश में व्यापार और वाणिज्य के लिए कुछ सहायक उपायों की घोषणा करने का आग्रह किया है. इसे भी पढ़ें: गिरिडीह">https://lagatar.in/production-stalled-in-giridih-colliery-loss-of-more-than-104-crores-to-ccl/">गिरिडीह

कोलियरी में उत्पादन ठप, सीसीएल को 104 करोड़ से ज्यादा का घाटा
[wpse_comments_template]

Comments

Leave a Comment

Follow us on WhatsApp