Vishwajeet Bhatt
Jamshedpur : कैट के राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री सुरेश सोंथालिया ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर बताया कि अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार स्वतंत्र भारत के सबसे क्रांतिकारी कर सुधारो में से एक है, जिसका उद्देश्य छोटे व्यापारियों को सशक्त करना, उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ाना और देश की अर्थव्यवस्था को 10 ट्रिलियन डॉलर की दिशा में अग्रसर करना है. कैट के सदस्यों और सांसद विद्युत वरण महतो के साथ बाजार का भ्रमण कर उपभोक्ताओं से जानने की कोशिश हुई कि जीएसटी संशोधन का उपभोक्ताओं को कितना लाभ मिल रहा है.
पांच हजार तक के कपड़ों की खरीद पर भी पांच प्रतिशत कर
सभी ने जीएसटी संशोधन पर प्रसन्ता व्यक्त की, लेकिन वस्त्र उपभोगताओं और वस्त्र विक्रेताओं ने दर्द भी बयान किया. वर्तमान में 2500 रुपये तक के वस्त्रों पर पांच प्रतिशत जीएसटी तथा 2500 से ऊपर के वस्त्रों की खरीद पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाया जा रहा है. यह व्यवस्था छोटे एवं मध्यम वर्गीय उपभोक्ताओं तथा कपड़ा उद्योग से जुड़े व्यापारियों के लिए व्यावहारिक कठिनाइयां उत्पन्न कर रहा है. वस्त्र उद्योग भारत का परंपरागत व रोजगार देने वाला उद्योग है. कपड़े और सूता में अलग अलग स्लैब की जटिलता व्यापारियों के लिए बोझिल हो रही है. यदि स्लैब की दर एक की जाए तो व्यापार सुगम होगा और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा.
कैट की ओर से सुरेश ने दिए सुझाव
सुरेश ने कहा कि कैट का सुझाव है कि 2500 रुपये की वर्तमान सीमा को बढ़ाकर 5000 रुपये किया जाए एवं 5000 से अधिक के वस्त्रों की खरीद-बिक्री पर 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाया जाए. ऐसा करने से मध्यम वर्गीय ग्राहकों को राहत मिलेगी. वस्त्र उद्योग को बढ़ावा मिलेगा. कर संग्रह में वृद्धि संभव है, क्योंकि अधिक लोग कर दायरे में आएंगे. छोटे दुकानदारों को कम जटिलता का सामना करना पड़ेगा. सुरेश ने मंत्री से आग्रह किया कि उपरोक्त सुझाव पर विचार कर आगामी बजट या जीएसटी परिषद की बैठक में इसे लागू करने हेतु आवश्यक कदम उठाएं.
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