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झारखंड विधानसभा का 25वां स्थापना दिवसः सीएम बोले- बदलाव कोई जादुई छड़ी नहीं

  • कानून सिर्फ व्यक्ति विशेष के नहीं, बल्कि हर व्यक्ति के लिए
  • टाइम बॉन्ड के अंदर पदाधिकारियों को करना होगा काम
  • नहीं तो दंड का भी है प्रावधान

Ranchi: झारखंड विधानसभा के 25वें स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि बदलाव कोई जादुई छड़ी नहीं है. राज्य की नीतियों और कानूनों को आमजनों तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं. सेवा का अधिकार कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इसमें कई बिंदु जोड़े गए हैं. 

 

समय सीमा के अंदर काम को पूरा करना होगा. समय सीमा के अंद अगर पदाधिकारी काम नहीं करते हैं तो दंड का भी प्रावधान है. इसका असर मील का पत्थर साबित होगा. म्यूटेशन, जमीन की मापी,चरित्र, जाति, मृत्यु, आय प्रमाण पत्र के लिए आज लोग धक्के खाते हैं. अब इसे टाइम बांट के अंदर पूरा करना होगा. बदलाव कोई जादुई छड़ी नहीं है. 

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झारखंड को सोने की चिड़िया कहा जाता है. लेकिन यह साकार रुप में तभी दिखेगा जब सवा तीन करोड़ के चेहरे पर मुस्कान दिखेगा. इसमें बड़ी भूमिका विधायिका भी है. इसमें सभी का सकारात्मक भूमिका होनी चाहिए. 

 

ये संघर्ष हो सकता है लंबा


सीएम ने कहा कि आर्थिक, सामाजिक, बौद्धिक रूप से अगर मजबूत नहीं हैं तो ये संघर्ष लंबा हो सकता है. गाड़ी में पेट्रोल नहीं भरें तो एक कदम भी आगे नहीं चल सकती है. इसमें सभी का दायित्व बनता है. लोगों को आर्थिक, शैक्षणिक और सामाजिक रूप से मजबूत करने के लिए राज्य सरकार संकल्पित है. 

 

पहले चरण में आधी आबादी को मजबूत करने का संकल्प है. उत्कृष्ट विद्यालय खोला गया है. सेवा का अधिकार कार्यक्रम चलाया जा रहा है. कई सारे लोग ऐसे हैं, जो बहुत ही साकारात्मक काम करने वाले लोग हैं. ऐसा नहीं है कि सब कुछ उलट चल रहा हो. उन्होंने कहा कि राज सिन्हा 21वां उत्कृष्ट विधायक चुने गए हैं. विशेश्वर खां को पहला उत्कृष्ट विधायक का सम्मान मिला था. चयन प्रक्रिया में पक्ष-विपक्ष के सम्मानित सदस्यों को ध्यान में रखकर उत्कृष्ट विधायक का चयन किय़ा जाता है. कभी आसानी से चयन होता है तो कभी चिंतन मंथन से चुना जाता है. 


 
राज्य निर्माण में दिशोम गुरु शिबू सोरेन के नेतृत्व में लंबा संघर्ष हुआ


सीएम ने कहा कि राज्य निर्माण में दिशोम गुरु शिबू सोरेन के नेतृत्व में लंबा संघर्ष हुआ. आज आर्शीवाद देने के लिए दिशोमगुरु शिबू सोरेन सहित कई ऐसे वीर हमलोगों के बीच नहीं है. राज्य की परिकल्पना तो पूरी हुई, लेकिन मूल विषय में सबसे निचले पायदान में खड़े हैं. गरीबी, पिछड़ापन, शिक्षा सामाजिक न्याय से महरूम हैं. आज के दिन देश के किसी भी राज्य से झारखंड को आर्थिक रूप से मजबूत होने का दावा करें तो सही नहीं होगा.

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