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झारखंड सरकार ने 1.33 लाख करोड़ रुपये के केंद्रीय अनुदान का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दियाः सीएजी

Ranchi : राज्य सरकार ने निर्धारित समय सीमा के अंदर केंद्र से मिले 1.33 लाख करोड़ रुपये के सहायता अनुदान का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया. इसके अलावा 4891.72 करोड़ रुपये की अग्रिम निकासी के खर्च का हिसाब नहीं दिया. भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में इन तथ्यों का उल्लेख किया गया है. 


झारखंड विधानसभा के मॉनसून सत्र में सीएजी की तीन रिपोर्टें पेश की गयी. इसमें एक रिपोर्ट राज्य के वित्तीय लेखा जोखा से संबंधित है. विधानसभा में पेश वित्तीय रिपोर्ट 31 मार्च 2024 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष से संबंधित है. 


रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र से मिले सहायता अनुदान की राशि के खर्च का हिसाब राज्य सरकार द्वारा केंद्र को वित्तीय वर्ष समाप्त होने के बाद देने का प्रावधान है. हालांकि ऑडिट में पाया गया कि राज्य सरकार ने मिले 1.33 लाख करोड़ रुपये के केंद्रीय अनुदान के खर्च की उपयोगिता प्रमाण पत्र केंद्र सरकार को निर्धारित समय सीमा में नहीं दिया. इस राशि के खर्च के लिए राज्य सरकार द्वारा कुल 47 हज़ार 367 उपयोगिता प्रमाण पत्र दिया जाना है.


पिछले चार वर्षों के दौरान राज्य को मिलने वाले केंद्रीय अनुदान में भारी गिरावट पायी गयी. वर्ष 2019-20 में राज्य के केंद्रीय अनुदान के रूप में 21.06 प्रतिशत राशि मिली थी. वित्तीय वर्ष 2023-24 में यह घट कर 10.40 प्रतिशत तक पहुंच गयी. वर्ष 2023-24 के दौरान राज्य को केंद्र प्रायोजित योजनाओं में केंद्रीय हिस्सेदारी के रूप में सिर्फ 6266.71 करोड़ रुपये मिले.


रिपोर्ट में कहा गया है कि राज सरकार को अचानक होने वाली जरूरी खर्चे के लिए ट्रेजरी से अग्रिम निकासी का प्रावधान है. ट्रेजरी से की गयी अग्रिम निकासी के खर्च का विस्तृत ब्योरा दूसरे महीने देने का नियम है. ऑडिट में पाया गया कि सरकार ने 4891.72 करोड़ रुपये की अग्रिम निकासी के खर्च का विस्तृत ब्योरा अब तक नहीं दिया है. 


रिपोर्ट में राज्य की वित्तीय स्थिति की चर्चा करते हुए कहा गया है कि 2022-23 के मुकाबले वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) में 10.46 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी. यह एक बेहतर संकेत हैं. 


राज्य के कुल राजस्व में 9.57 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी. जबकि राज्य के अपने स्रोतों से मिलने वाले राजस्व में 11.49 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी. वित्तीय वर्ष 2022-23 के मुकाबले 2023-24 में राज्य के कुल खर्च में 19.58 प्रतिशत की वृद्धि हुई. 2022-23 के मुकाबले 2023-24 में सरकार के राजस्व खर्च में 14.99 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी. पिछले चार वर्षों के दौरान राज्य के राजकोषीय घाटे में भी कमी पायी गयी है. 


वर्ष 2019-20 में राज्य का रोजकोषीय घाटा GSDP के मुकाबले 2.59 प्रतिशत था. वर्ष 2023-24 में यह 2.59 प्रतिशत से घट कर 1.37 प्रतिशत हो गया. राज्य की आर्थिक स्थिति के लिए यह बेहतर संकेत हैं. FRBM Act में राजकोषीय घाटे के GSD के मुकाबले तीन प्रतिशत के अधीन रखने की सीमा निर्धारित है.

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