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सुप्रीम कोर्ट पहुंचे 10 में से तीन कैदियों के मामले में हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया

Ranchi : झारखंड हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले 10 में से तीन कैदियों के मामले में अपना फैसला सुना दिया है. फिलहाल सात कैदियों का मामला हाईकोर्ट में लंबित है.


राज्य के 10 कैदियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर हाइकोर्ट में लंबित फैसलों में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था. मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था. साथ ही हाईकोर्ट में लंबित फैसलों की जानकारी मांगी थी.

 

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नोटिस जारी करने के बाद हाईकोर्ट ने अब तक तीन कैदियों कैदियों को मामले में अपना फैसला सुनाया. इसमें से दो कैदी दुमका में हुई नक्सली घटना से संबंधित हैं, जिसमें पाकुड़ के तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार सहित पांच पुलिसकर्मियों की हत्या हुई थी.

 

इस हत्याकांड में निचली अदालत ने सुखलाल मुर्मू और सनत बासकी को फांसी की सजा दी थी. हाईकोर्ट ने इन दोनों कैदियों के मामले में 17 जुलाई को अपना फैसला सुनाया. न्यायाधीश रंगोन मुखोपाध्याय ने दोनों को दी गयी फांसी की सजा रद्द कर दी थी. न्यायाधीश संजय प्रसाद ने निचली अदालत द्वारा दोनों को दी गयी फांसी की सजा को बरकरार रखा.

 

न्यायाधीश रंगोन मुखोपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट पहुंचने वाले कैदी बंधन उरांव को दी गयी फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दी. बंधन उरांव को निचली अदालत में एक तीन साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के बाद हत्या करने के आरोप में फांसी की सजा सुनायी थी.

मामला गुमला जिले में हुए इस अपराध से संबंधित था. वर्ष 2018 में हुई इस घटना के बाद पुलिस ने बंधन उरांव को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. उस वक्त से वह जेल में है.

 

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