Ranchi : झारखंड के बहुचर्चित शराब घोटाले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने जांच और तेज कर दी है. एसीबी ने छत्तीसगढ़ के चर्चित कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट हासिल कर लिया है. यह कार्रवाई तब हुई है, जब एसीबी पहले ही निलंबित आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे के करीबी और नेक्सजेन के मालिक विनय कुमार सिंह के खिलाफ वारंट ली है. नोटिस जारी होने के बावजूद पूछताछ के लिए हाजिर न होने पर एसीबी ने यह कदम उठाया है. खबर तो यह भी है कि एसीबी ने विनय सिंह की गिरफ्तारी के लिए उनके कई संभावित ठिकानों पर बुधवार को छापेमारी की थी, लेकिन इससे पहले ही विनय सिंह फरार हो गए थे.
छत्तीसगढ़ कनेक्शन और 'मैनेज' करने की रणनीति
इस मामले में छत्तीसगढ़ का गहरा संबंध सामने आया है. जब छत्तीसगढ़ एंटी करप्शन ब्यूरो ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच के दौरान सिद्धार्थ सिंघानिया के घर पर छापा मारा था, तब वहां से एक डायरी बरामद हुई थी. इस डायरी में झारखंड में शराब सिंडिकेट द्वारा रची गई एक बड़ी साजिश का खुलासा हुआ था. डायरी में झारखंड में शराब व्यापार के दौरान बाधा डालने वालों को चिह्नित करने और उन्हें 'मैनेज' करने की रणनीति का भी उल्लेख था. रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट ने सुनियोजित तरीके से झारखंड में शराब नीति लागू करवाई, जिससे राज्य सरकार को भारी आर्थिक नुकसान हुआ. सिद्धार्थ सिंघानिया के अलावा, जिन अन्य कारोबारियों को इस मामले में नोटिस भेजा गया है, उनमें मध्य प्रदेश के भोपाल निवासी मनीष जैन और राजीव द्विवेदी और महाराष्ट्र के पुणे निवासी अजीत जयसिंह राव, अमित प्रभाकर सोलंकी व सुनील मारूत्रे कुंभकर शामिल हैं.
विनय चौबे की संपत्ति की जांच
एसीबी निलंबित आईएएस विनय कुमार चौबे के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले की भी जांच कर रही है. जांच एजेंसियां उनके वैध आय स्रोतों और व्यय की तुलना कर यह पता लगा रही है कि उन्होंने कितनी अवैध संपत्ति अर्जित की है. रजिस्ट्री कार्यालय से उनकी अचल संपत्तियों का विस्तृत ब्योरा जुटाया गया है. जांच में शेल कंपनियों में निवेश और विनय सिंह की कंपनी के साथ लेनदेन के महत्वपूर्ण सबूत भी मिले हैं, जो इस घोटाले में उनकी संलिप्तता को और पुष्ट करते हैं.
अब तक पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर भेजा गया जेल
शराब घोटाला मामले में एसीबी अब तक पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है. इनमें उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के पूर्व प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे, संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह, महाप्रबंधक वित्त सुधीर कुमार दास, पूर्व महाप्रबंधक वित्त सह अभियान सुधीर कुमार, और प्लेसमेंट एजेंसी मार्शन के स्थानीय प्रतिनिधि नीरज कुमार सिंह शामिल हैं. इन पर अपने पद का दुरुपयोग कर अपने चहेते अयोग्य प्लेसमेंट एजेंसियों को मैनपावर आपूर्ति का ठेका देने का आरोप है. आरोप है कि फर्जी बैंक गारंटी के आधार पर दो प्लेसमेंट एजेंसियों मार्शन और विजन ने ठेका लिया, जिससे सरकार को करीब 38 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ. एसीबी इस पूरे मामले की गहनता से जांच कर रही है और आने वाले समय में और भी गिरफ्तारियां होने की संभावना है.