Ranchi : राजधानी रांची में पीएचडीसीसीआई झारखंड द्वारा शनिवार को चौथे झारखंड माइनिंग समिट का आयोजन किया गया. इस वर्ष का विषय Advances in Sustainable Mining रखा गया था. सम्मेलन में नीति निर्माताओं, उद्योग जगत के विशेषज्ञों और तकनीकी जानकारों ने आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाने पर चर्चा की.
पीएचडीसीसीआई झारखंड के अध्यक्ष और क्यूरेस्टा हेल्थ के न्यूरोसाइंसेस निदेशक डॉ संजय कुमार ने स्वागत भाषण में झारखंड को भारत का इंजन बताया. उन्होंने कहा कि खनन को टिकाऊ बनाने के लिए आधुनिकीकरण और जिम्मेदारीपूर्ण खनन जरूरी है.
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित झारखंड के वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने कहा कि देश की 40 प्रतिशत खनिज संपदा होने के बावजूद झारखंड का खनन राजस्व अभी ओडिशा से पीछे है. उन्होंने राज्य स्तरीय खनन नीति बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया. साथ ही कहा कि कॉर्पोरेट घरानों के सीएसआर फंड का सरकार पारदर्शी तरीके से सामुदायिक विकास के लिए लेखा-जोखा रखेगी.
अदाणी पावर झारखंड के कॉर्पोरेट मामलों के प्रमुख संजीव शेखर ने कहा कि खनन राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. उन्होंने एआई, आईओटी, ड्रोन और डेटा एनालिटिक्स जैसी तकनीकों के उपयोग से उत्पादकता बढ़ाने और उत्सर्जन कम करने पर जोर दिया.
उन्होंने पारदर्शी भूमि अधिग्रहण, सामुदायिक सहभागिता और कौशल विकास को अदाणी की खनन परियोजनाओं का मुख्य हिस्सा बताया.सम्मेलन में तकनीकी विशेषज्ञों में डॉ एसपी अग्रवाल, रवि रंजन, पीके दीक्षित और डॉ नसीर जमाल ने खनन नीति, तकनीकी नवाचार और उद्योग की चुनौतियों पर अपने विचार साझा किए.
दूसरे सत्र में खनन में स्वचालन और उभरती प्रौद्योगिकियों का प्रभाव पर चर्चा हुई. विशेषज्ञों ने कहा कि डिजिटल टूल्स और स्वचालन से मानव जोखिम कम होगा, संसाधनों का संतुलित उपयोग होगा और खनन को अधिक टिकाऊ बनाया जा सकेगा.
प्रतिभागियों ने यह भी माना कि झारखंड को अपनी पारिस्थितिकी की रक्षा करते हुए और स्थानीय समुदायों के सहयोग से प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए उन्नत तकनीक को तेजी से अपनाना होगा.
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